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मोहम्मद जुबैर का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, शुक्रवार को होगी सुनवाई

पत्रकार और ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। जुबैर के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के खिलाफ 13 जून को उनके खिलाफ एफआईआर रद्द करने से इनकार करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। यह मामला सीतापुर से जुड़ा हुआ है।
गोंजाल्विस ने कहा कि जुबैर को मौत की धमकी का सामना करना पड़ रहा है और उनकी सुरक्षा के बारे में वास्तविक चिंता है। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है।

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जुबैर को सोमवार को सीतापुर की एक अदालत ने 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। जुबैर पर आरोप है कि उन्होंने कुछ हिंदू संतों को "घृणा फैलाने वाले" कहा था, जिस पर उनके खिलाफ सीतापुर में एफआईआर दर्ज की गई थी। दिल्ली पुलिस ने जब किसी और केस में बुलाकर किसी और केस में जुबैर की गिरफ्तारी कर ली तो वो उन्हें सीतापुर कोर्ट भी ले गई। क्योंकि वहां भी एफआईआर दर्ज है। सीतापुर में पेश किए जाने के बाद दिल्ली पुलिस जुबैर को वापस दिल्ली ले गई। जुबैर ने सीतापुर में दर्ज मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मांगी थी, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत से इनकार कर दिया। उसी मामले को अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।  
1 जून को हिंदू शेर सेना सीतापुर जिला अध्यक्ष भगवत शरण की शिकायत पर जुबैर के खिलाफ आईपीसी की धारा 295ए (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) और आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

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जुबैर को 17 जून को दिल्ली पुलिस ने एक "आपत्तिजनक ट्वीट" से संबंधित मामले में गिरफ्तार किया था, जिसे उन्होंने 2018 में एक हिंदू देवता के खिलाफ पोस्ट किया था। हालांकि दिल्ली पुलिस ने उन्हें दूसरे केस में पूछताछ के लिए बुलाया था।
दिल्ली पुलिस ने जुबैर के खिलाफ नए प्रावधान - भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और 201 (सबूत नष्ट करना) और विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम की धारा 35 लागू की है। इन धाराओं को बाद में एफआईआर में जोड़ा गया।

जुबैर का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उठ चुका है। जिसकी सभी देशों में निन्दा की गई है। यूएन महासचिव के प्रवक्ता तक ने इस मामले में चिन्ता जताई थी। जुबैर ऑल्ट न्यूज के जरिए फैक्ट चेकिंग का काम भी करते थे। उन्होंने फैक्ट चेकिंग में नेताओं तक के झूठ को कई बार पकड़ा। इसीलिए वो हुक्मरानों को चुभ रहे थे।

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क़मर वहीद नक़वी
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