सरकार ने इस साल मनरेगा के लिए 86,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में योजना के वास्तविक व्यय 1.05 लाख करोड़ रुपये से 19,297 करोड़ रुपये कम है। हालाँकि, पिछले वित्त वर्ष में 60 हज़ार करोड़ रुपये ही आवंटित किए गए थे। इस साल मनरेगा के लिए आवंटन कुल बजटीय आवंटन का सिर्फ 1.78% है, जो योजना के वित्तपोषण में दस साल का सबसे कम है। पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह से मनरेगा के आवंटन में कमी आई है, इसको लेकर ग्रामीण रोजगार और ख़पत को लेकर कई तरह की आशंकाएँ जताई जा रही हैं।
मनरेगा के लिए पिछले साल ख़र्च की गई राशि से भी कम आवंटन क्यों?
- देश
- |
- |
- 24 Jul, 2024
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के इस पहले बजट में मनरेगा को लेकर जो आवंटन किया गया है, क्या वह पर्याप्त है? जानिए, इससे किस तरह का असर पड़ेगा।

मनरेगा हर ग्रामीण परिवार को न्यूनतम वेतन के साथ 100 दिन के रोज़गार की गारंटी देता है। कहा जाता है कि मनरेगा भारत में ग्रामीण रोजगार के लिए एक क्रांतिकारी क़दम है। अर्थशास्त्र में नोबल पुरस्कार विजेता जोसेफ़ स्टिग्लिट्ज़ ने कहा था, 'मनरेगा भारत का एकमात्र सबसे बड़ा प्रगतिशील कार्यक्रम और पूरी दुनिया के लिए सबक़ है।' जब 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट आया था, इसने भारत को आर्थिक मंदी से उबरने में मदद की थी।