राजदीप सरदेसाई की गिनती देश के बड़े पत्रकारों में होती है। वे मूलतः अंग्रेज़ी में लिखते हैं पर पढ़े हिंदी में ज़्यादा जाते हैं। अंग्रेज़ी के अधिकांश पत्रकारों की पाठकों के क्षेत्र में निर्भरता हिंदी पर ही है। राजदीप एक सम्पन्न, विनम्र और ‘सामान्यतः’ व्यवस्था विरोधी पत्रकार माने जाते हैं। उन्हें मैदानी पत्रकारिता की भी समझ है क्योंकि ज़रूरत पड़ने पर पैदल भी चल लेते हैं। राजदीप को इस समय अपने ताज़ा आलेख के कारण चर्चा में होना चाहिए पर लगता नहीं कि ऐसा हो पा रहा है।
राजदीप एक लेख किसानों को हो रहे नुक़सान पर भी लिख दें!
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- 19 Jan, 2021

राजदीप सरदेसाई के मुताबिक़, विरोध के कारण अंबानी-अडानी समूहों को सार्वजनिक बयान जारी करना पड़ा कि उनकी भविष्य में कांट्रैक्ट फ़ार्मिंग में आने की कोई योजना नहीं है। राजदीप का पूरा आलेख दोनों उद्योगपतियों की ओर से स्पष्टीकरण में लिखा गया की ही ध्वनि उत्पन्न करता है।
हिंदी के एक अख़बार में प्रकाशित उनके आलेख से यह ध्वनि निकलती है कि किसान आंदोलन में उद्योगपति अंबानी और अडानी को बेवजह घसीटा गया है जबकि ऐसा किए जाने का कोई कारण नहीं बनता।
राजदीप यह भी कहते हैं कि राहुल गांधी के नेतृत्व में अंबानी-अडानी पर हमला काफ़ी पाखंडपूर्ण लगता है और यह भी कि आज देश के दो सबसे अमीर व्यापारिक समूहों को राजनीतिक विवाद से बचने में परेशानी हो रही है। उनके टावरों को नुक़सान पहुँचाया जा रहा है और उनके उत्पादों का बहिष्कार हो रहा है।