बीजेपी के तेज़ी से उभरते सांसद तेजस्वी सूर्या ने जब कैपिटल हिल कांड के बाद डोनल्ड ट्रम्प का ट्विटर अकाउंट बंद किए जाने पर रोष जताया और कहा कि टेक कम्पनी का फ़ैसला लोकतंत्रों के लिए सजग होने का संकेत है तो उनकी प्रतिक्रिया को इस डर के साथ जोड़कर देखा गया कि भारत के सम्बन्ध में भी ऐसा हो गया तो उसकी सबसे ज़्यादा मार सत्तारूढ़ दल के कट्टरपंथी समर्थकों पर ही पड़ेगी। ट्विटर द्वारा ट्रम्प के अकाउंट को बंद करने का आधार यही बनाया गया है कि पदासीन राष्ट्रपति के उत्तेजक विचारों से हिंसा और ज़्यादा भड़क सकती है।
ज़्यादा बड़ा ख़तरा किससे- ट्रम्प या टेक कम्पनियों से?
- विचार
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- 29 Mar, 2025

टेक कम्पनियों को लेकर तेजस्वी सूर्या जैसे नेताओं की चिंताओं का दायरा सीमित है जबकि वास्तविक ख़तरों का अंधकार कहीं ज़्यादा व्यापक और डरावना है। वह इसलिए कि अमेरिका के अपने सफल प्रयोग के बाद ये कम्पनियाँ अन्य लोकतान्त्रिक राष्ट्रों की संप्रभुताओं का अतिक्रमण करते हुए उनकी नियतियों को भी नियंत्रित करने से बाज नहीं आएँगी।
तेजस्वी सूर्या के साथ ही बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी ट्विटर कम्पनी के क़दम को ख़तरनाक बताया था।