कानपुर पुलिस ने उन 40 कथित दंगाइयों के फोटो सार्वजनिक कर दिए हैं, जिनके खिलाफ उसने एफआईआर की है। पुलिस को उनकी तलाश है। जिन 40 कथित दंगाइयों की फोटो जारी की गई है, उनमें से अधिकांश समुदाय विशेष के हैं। इनमें वो लोग भी शामिल हैं, जो नूपुर शर्मा के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने पहुंचे थे। पुलिस ने उन लोगों की लिखित शिकायत को लेकर रख लिया था। उस शिकायत अर्जी में उन लोगों के नाम और हस्ताक्षर क्षे। उनमें से कुछ नाम एफआईआर में भी सामने आए हैं।
कानपुर पुलिस द्वारा लगाए गए कथित दंगा आरोपियों के होर्डिंग और पोस्टर आलोचना का विषय बन गया है। जिस समय देश में सीए-एनआरसी आंदोलन चल रहा था तो लखनऊ में ऐसे आंदोलन में हिस्सा लेने वालों के होर्डिंग लखनऊ शहर में लगाए गए थे। इस पर अदालत ने यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी और होर्डिंग हटाने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर ने 9 मार्च 2020 को इसे शर्मनाक बताया था। अब उस तरह की गलती फिऱ दोहराई गई है। कानपुर हिंसा के आरोपी कोई पुराने दंगाई या मुलजिम नहीं हैं, जिनके साथ पुलिस इस तरह से पेश आए, लेकिन उसने उनकी छवि ऐसी बना दी है कि वे पुराने गंभीर अपराधी हों।
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कानपुर पुलिस ने पिछले शुक्रवार की घटनाओं की सीसीटीवी और वीडियो फुटेज की छानबीन के बाद 40 लोगों की तस्वीरें जारी की हैं। पुलिस को संदेह है कि इन लोगों ने शुक्रवार की हिंसा में सक्रिय भूमिका निभाई थी जिसमें कई लोग घायल हुए थे।
इन 40 कथित दंगाइयों का फोटो जारी करने वाली पुलिस ने घोषणा की है कि इन 40 लोगों के बारे में कोई भी जानकारी साझा करने वाले लोगों की पहचान गुप्त रखी जाएगी। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, उत्तर प्रदेश पुलिस ने इन लोगों के होर्डिंग्स - हिंसा के प्रमुख संदिग्धों - प्रभावित क्षेत्रों में और आसपास के प्रमुख स्थानों पर लगाने का फैसला किया है।
अधिकारियों ने पीटीआई को बताया कि होर्डिंग्स में स्टेशन हाउस अधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के संपर्क नंबर होंगे, ताकि लोग संदिग्धों के बारे में जानकारी दे सकें।
पुलिस उपायुक्त (पूर्व), प्रमोद कुमार ने कहा, 3 जून की हिंसा में कथित तौर पर शामिल होने वाले लगभग 20 प्रमुख आरोपियों की तस्वीरों वाले 25 होर्डिंग प्रभावित इलाकों और आसपास के प्रमुख स्थानों पर लगाए जाएंगे। डीसीपी ने कहा, हमने वीडियो क्लिप, कैमरा और सीसीटीवी फुटेज के जरिए आरोपी व्यक्तियों की तस्वीरें एकत्र की हैं।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, कानून और व्यवस्था, आनंद प्रकाश तिवारी ने कहा, हमने सीसीटीवी फुटेज और वीडियो क्लिप के माध्यम से 100 अन्य पथराव करने वालों और दंगाइयों की पहचान की है।
पिछले शुक्रवार को कानपुर के परेड चौक में हिंसक झड़पों और पथराव की सूचना मिली थी, जब लोगों के एक समूह ने टीवी बहस में पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ बीजेपी नेता नूपुर शर्मा द्वारा की गई टिप्पणी पर प्रदर्शन की घोषणा की थी। पुलिस इस मामले में अब तक 38 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
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शहर काजी का बयान
शहर काज़ी अब्दुल कुद्दूस हादी ने सोमवार को कहा था कि अगर हिंसा होती है, तो दो पक्ष होते हैं। पुलिस ने एक पक्ष के खिलाफ कार्रवाई की है जबकि दूसरा पक्ष जो अपराध के लिए समान रूप से जिम्मेदार है उसे छोड़ा जा रहा है। अपने दावे के समर्थन में उन्होंने कहा कि एफआईआर में नामजद सभी 36 लोग एक समुदाय से थे। अन्य समुदायों के सदस्यों को क्यों नहीं गिरफ्तार किया जाता है या उनके खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की जा रही है।हादी का दावा है कि जब वह कानपुर के पुलिस आयुक्त के आह्वान पर लोगों को शांत करने गए तो उनके और उनके बेटों के साथ मारपीट की गई। यह सभी को देखना चाहिए। इसके पक्ष में वीडियो सबूत हैं। फिर भी पुलिस ने मेरे एक सहयोगी को गिरफ्तार कर लिया।
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