पैगंबर साहब पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में कार्रवाई के लिए क्या भारी दबाव में बीजेपी सरकार ने अपने एक नेता को गिरफ़्तार किया है? यदि ऐसा नहीं है तो कानपुर हिंसा के 4 दिन बाद यह गिरफ़्तारी क्यों?
कानपुर में पथराव और टकराव का जिम्मेदार कौन? आखिर क्या थी योजना? सरकार ने कोर्ट के आदेश के बावजूद पोस्टर लगवा दिए? शहर काज़ी को कहां से मिल रही है हिम्मत? सरकार की कार्रवाई से मामला सुलझेगा या और उलझेगा? आलोक जोशी के साथ ब्रजेश शुक्ला, विनोद अग्निहोत्री और शरत प्रधान
कानपुर में 3 जून को हुई साम्प्रदायिक हिंसा में शामिल 40 आरोपियों के फोटो सार्वजनिक किए हैं। इसमें समुदाय विशेष के आरोपियों की संख्या ज्यादा है। यूपी पुलिस ने सीए-एनआरसी आंदोलन के दौरान ऐसी गलती की थी, जब उसने आरोपियों के होर्डिंग लखनऊ में सार्वजनिक स्थानों पर लगा दिए थे, इस पर अदालत ने कड़ी फटकार लगाई थी।
कानपुर हिंसा में गिरफ्तारियों का सिलसिला अभी भी जारी है लेकिन इसी के साथ पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लग रहा है। वीडियो सबूत के बावजूद दूसरे पक्ष के लोगों को नहीं पकड़ा गया जबकि अभी तक सिर्फ मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारियां हुई हैं।
कानपुर शहर में आज हिंसा की घटनाएं हुईं। यह समाचार लिखे जाने तक हालात बेकाबू हैं। जुमे की नमाज के बाद बीजेपी प्रवक्ता नुपूर शर्मा की पैगंबर पर टिप्पणी के खिलाफ मुस्लिम प्रदर्शन कर रहे थे। उसी दौरान बाजार बंद कराने को लेकर दोनों समुदायों में झड़प हुई। पुलिस ने भीड़ पर लाठी चार्ज किया और फायरिंग की।