कानपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में शहर के काजी का बड़ा बयान सामने आया है। काजी अब्दुल कुद्दूस ने कहा है कि अगर किसी के घर पर बुलडोजर चला तो मुसलिम समुदाय के लोग सिर पर कफन बांधकर सड़कों पर उतरेंगे।
उन्होंने कहा कि हम लोग कानून नहीं तोड़ेंगे लेकिन अगर जुल्म ज्यादती हुई और हमारे घरों को तोड़ा गया तो तो फिर हम लोग मरने के लिए तैयार हैं।
शहर काजी ने TV9 भारतवर्ष के साथ बातचीत में कहा कि उन्होंने कानपुर के पुलिस कमिश्नर से गुजारिश की है कि बच्चों से नादानी हुई है और दोनों तरफ के बच्चों को माफ कर दिया जाना चाहिए।
कानपुर में 3 जून को परेड बाजार बंद कराने को लेकर दो समुदायों के लोग आमने-सामने आ गए थे और इस दौरान सांप्रदायिक हिंसा और पत्थरबाजी की घटना हुई थी। कानपुर हिंसा में अब तक 50 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
कानपुर में यह हिंसा उस दिन हुई थी जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित उनकी सरकार के तमाम आला मंत्री, पुलिस के बड़े अफसर शहर में मौजूद थे।
नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी हो
शहर काजी ने कहा कि कई ऐसे लोगों को पुलिस पकड़ रही है जो उस दिन पथराव में शामिल नहीं थे। उन्होंने कहा कि बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पहले ही अगर गिरफ्तार कर लिया जाता तो आज इस तरह के हालात नहीं बनते। काजी ने कहा कि बीजेपी ने बाहरी दबाव के कारण नूपुर शर्मा पर कार्रवाई की है लेकिन मुसलिम समुदाय मांग करता है कि उन्हें गिरफ्तार किया जाए और सजा दी जाए।
प्रिंटिंग प्रेस मालिक गिरफ्तार
पुलिस ने 40 आरोपियों की तस्वीर वाले पोस्टर भी कानपुर में चिपकाए हैं। इस मामले में स्थानीय प्रिंटिंग प्रेस के मालिक को भी गिरफ्तार किया गया है। प्रिंटिंग प्रेस के मालिक ने कहा है कि उन्होंने हयात जफर हाशमी के कहने पर 20 पोस्टर छापे थे। पुलिस ने कहा है हयात जफर हाशमी इस हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता है। हाशमी नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ कानपुर में हुए प्रदर्शनों में भी शामिल रहा था।
हमारा कोई संबंध नहीं: पीएफआई
उधर, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई ने बयान जारी कर कहा है कि इस हिंसा के आरोपियों से उसका कोई संबंध नहीं है। पीएफआई के महासचिव अनीस अहमद ने कहा है कि पिछले कुछ सालों से देश में कहीं पर भी सांप्रदायिक हिंसा की घटना होती है तो पीएफआई का नाम हिंसा से जोड़ने की कोशिश की जाती है।
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