क्या भारत में कोरोना महामारी की तीसरी लहर दस्तक देने जा रही है? पहली लहर से ख़तरनाक साबित हुई दूसरी लहर के मुक़ाबले यह तीसरी लहर क्या अधिक ख़तरनाक होगी? ये सवाल चिंता का सबब बन गये हैं। और, इसकी वजह है केरल में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के आँकड़े।
केरल में बीते हफ्ते औसतन 17,033 कोरोना के संक्रमण देखे गये जबकि देश में यह आँकड़ा औसतन 40,760 रहा। इसका मतलब यह है कि पूरे देश में साप्ताहिक कोरोना संक्रमण जितना है उसके आधे से थोड़ा कम केरल में है। देश के मुक़ाबले केरल में कोरोना का संक्रमण बढ़ना क्यों चिंता का सबब है इसे समझना ज़रूरी है। इसके लिए कुछ आँकड़ों पर ग़ौर करना ज़रूरी है-
- जब देश में 16 सितंबर 2020 को दैनिक संक्रमण पीक पर था और आँकड़ा 97 हज़ार से ज़्यादा थे, तब केरल में दैनिक संक्रमण 3,823 था। लगभग 4 प्रतिशत।
- दूसरी लहर में 6 मई को जब दैनिक संक्रमण का आँकड़ा अपने शबाब पर था और 4.14 लाख दर्ज किया गया था, तो उस दिन केरल में यह आँकड़ा 42,464 था। 10.25 प्रतिशत।
- खास बात यह है कि पहली लहर जब नवंबर 2020 में थम रही थी और देशव्यापी आँकड़ा 20 नवंबर को 46 हज़ार के स्तर पर आ गया था तब केरल में कोरोना संक्रमण का आँकड़ा 6 हजार के स्तर पर था। लगभग 13 प्रतिशत।
- वहीं जब दूसरी लेहर ख़त्म होने की स्थिति है और देश में 40 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण हैं तो केरल में आँकड़ा आधे के लगभग है।
जब-जब केरल में आँकड़े बढ़े हैं, देश में महामारी का संकट गहरा हुआ है। यही वह तथ्य है जो महामारी को लेकर हमारी चिंता को बढ़ाता है।
केरल ही नहीं, 5 अन्य प्रदेशों में भी हालत गंभीर
केरल में पिछले दो हफ्तों के मुक़ाबले बीते हफ़्ते 25 फ़ीसदी कोरोना संक्रमण के मामले अधिक पाए गये हैं जबकि पूरे देश में यह बढ़ोतरी 6 फ़ीसदी की रही। इसका अर्थ यह है कि कोरोना का संक्रमण देश में भी बढ़ रहा है और केरल में भी। मगर, केरल में कोरोना मामलों में वृद्धि की रफ्तार देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार से चार गुणा से ज़्यादा है।
चिंता की बात यह भी है कि इस वक़्त न सिर्फ़ केरल बल्कि 5 अन्य प्रदेश और दो केंद्र शासित प्रदेश भी हैं जहाँ बीते हफ्ते कोरोना के संक्रमण में पिछले दो हफ्तों के मुक़ाबले तेज़ बढ़ोतरी देखी गयी है। ये प्रदेश हैं-
- मिज़ोरम +66%,
- उत्तराखण्ड +52%,
- मेघालय +36%,
- सिक्किम +28%,
- हिमाचल प्रदेश +26%,
- दादर नागर हवेली, दमन दीव +18%,
- लक्ष्यद्वीप+18%.
बेहतर प्रबंधन के बावजूद चिंता
केरल में 1 अगस्त तक 34 लाख से ज़्यादा कोरोना के केस थे और मौत 16 हज़ार से ज़्यादा। जबकि, देश में 3 करोड़ 16 लाख संक्रमण हैं और मौत 4.24 लाख। देश में संक्रमण का 10.75 फ़ीसदी हिस्सा केरल में है तो मौत में केरल की हिस्सेदारी 3.77 फ़ीसदी है। ये आँकड़े बताते हैं कि संक्रमण से निपटने में केरल का प्रदर्शन राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन से कहीं बेहतर रहा है। बेहतर प्रबंधन के बावजूद अगर केरल फिर से महामारी की चपेट में आता दिख रहा है तो यह चिंता की दूसरी बड़ी वजह है।
सीरो सर्वे में यह बात भी साफ़ हो चुकी है कि कोरोना का संक्रमण पकड़ने में सबसे अच्छा रिकॉर्ड केरल का रहा है।
जहाँ भारत में कोरोना संक्रमण का 1 मामला पकड़ में आया तो 30 मामले छूट गये यानी पकड़ में नहीं आ सके, वहीं केरल में यह आँकड़ा 1 बनाम 6 का रहा। सबसे बुरा आँकड़ा उत्तर प्रदेश का है जहाँ 1 मामला पकड़ में आया तो 98 मामले पकड़ में आने से रह गये।
केरल में यूपी से दुगुना संक्रमण, मौत फिर भी कम
केरल और उत्तर प्रदेश की तुलना करें तो केरल में अब तक 34.25 लाख मामले सामने आए हैं जबकि मौत का आँकड़ा 16, 956 है। जबकि, उत्तर प्रदेश में केरल के मुक़ाबले आधा यानी 17.08 लाख कोरोना के केस सामने आए हैं जबकि मौत केरल से कहीं ज़्यादा यानी 22,763 हैं।
अगर सीरो सर्वे के हिसाब से उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण को 98 गुणा ज़्यादा मानें तो यह आँकड़ा 16 करोड़ 73 लाख से ज़्यादा हो जाता है। 23 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश की जनसंख्या का यह 72.73 प्रतिशत है। केरल में कोरोना संक्रमण का वास्तविक आँकड़ा अगर सीरो सर्वे के मुताबिक़ 6 गुणा ज़्यादा समझें तो यह 2 करोड़ 5 लाख होता है। 3.46 करोड़ वाली आबादी के मुक़ाबले यह 59.24 फ़ीसदी होता है।
सवाल यह है कि आने वाले दिन क्या और भी भयावह होने वाले हैं? तीसरी लहर की आहट इस सवाल का उत्तर ढूंढ़ रही है और हमें सतर्क होने को कह रही है। केरल में कोरोना के बढ़ रहे आँकड़े इसलिए भी चिंता का सबब अधिक हैं क्योंकि भारत में सबसे पहले कोविड-19 का वायरस यहीं पहुँचा था। फिर भी इसने महामारी का डट कर मुक़ाबला किया। संक्रमण को पकड़ने में यह देश में अव्वल रहा। महाराष्ट्र के बाद सबसे ज़्यादा संक्रमण इसी प्रदेश में पकड़ में आए। वहीं, मौत दूसरे प्रदेशों के मुक़ाबले केरल में कम रहे।
देश में 43 लोगों में एक है कोरोना संक्रमित
भारत में कोरोना के दो लहर बीत जाने के बाद अब तक 3 करोड़ 16 लाख से ज़्यादा संक्रमण दर्ज किए गये हैं और क़रीब 4.24 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। बोलचाल की भाषा में समझें तो हर 43 भारतीय में एक कोरोना से संक्रमित हुआ है और हर 3,220 भारतीयों में 1 की मौत इस महामारी से हुई है। बताने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए कि ये उन आँकड़ों के मुताबिक़ हैं जो आधिकारिक तौर पर दर्ज कराए गये हैं।
तीसरी लहर का बचाव है वैक्सीनेशन। केरल में 60 फ़ीसदी लोगों को कम से कम वैक्सीन की एक खुराक दी जा चुकी है। वहीं देशव्यापी स्तर पर यह आँकड़ा 35 फ़ीसदी भी नहीं है। ऐसे में अगर केरल में कोरोना की महामारी अपने पैर पसार रही है तो देश में इसे फैलने से रोक पाना मुश्किल लगता है। केरल के संदर्भ में महामारी के आँकड़े इसलिए और अधिक महत्वपूर्ण और चिंता का सबब बन चुके हैं।
अपनी राय बतायें