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प्रतीकात्मक तसवीर

खाड़ी देशों के ग़ुस्से को नज़रअंदाज़ क्यों नहीं करती मोदी सरकार?

बीजेपी नेताओं पर नफ़रत फैलाने के बड़े-बड़े आरोप लगे, पर वह शायद ही कभी बैकफुट पर नज़र आई हो। बल्कि पहले तो वह और ज़्यादा आक्रामक नज़र आती रही थी। लेकिन अब पैगंबर मोहम्मद साहब पर बीजेपी नेताओं की टिप्पणी के बाद बीजेपी न सिर्फ़ बैकफुट पर है, बल्कि वह कई मायनों में झुकती हुई दिख रही है। बीजेपी की आख़िर ऐसी मजबूरी क्या है? क्या यह मजबूरी खाड़ी देशों की ज़बरदस्त नाराज़गी की वजह से है?

सवाल है कि यदि खाड़ी देश नाराज़गी जता रहे हैं तो मोदी सरकार उनको नज़रअंदाज़ क्यों नहीं कर पा रही है जैसा कि वह आम तौर पर पाकिस्तान की नाराज़गी और उसके विरोध पर करती रही है?  

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इन सवालों के जवाब इन सवालों में ढूंढे जा सकते हैं। क्या भारत कच्चे तेल की अपनी ज़रूरत की 60 फ़ीसदी की आपूर्ति खुद से कर पाएगा? क्या वह रेमिटेंस यानी विदेश से आने वाली कुल कमाई का आधा खोने को तैयार है? क्या भारत अपने तीसरे सबसे बड़े व्यापार साझीदार को खोने को तैयार होगा? खाड़ी में रहने वाले 89 लाख भारतीयों के भविष्य की चिंता भी तो होगी ही?

यदि इन सवालों से भी यह साफ़ तौर पर पता नहीं चला कि भारत खाड़ी के देशों की नाराज़गी को नज़रअंदाज़ कर पा रहा तो आपको और विस्तार से बताते हैं।

कच्चे तेल की ज़रूरत

खाड़ी देश भारत की कच्चे तेल की ज़रूरत की 60% से अधिक की आपूर्ति करते हैं। भारत न केवल अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बल्कि रणनीतिक और सुरक्षा कारणों से भी खाड़ी देशों से बड़ी मात्रा में कच्चे तेल का आयात करता है। भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने मार्च में संसद को बताया था कि देश में प्रतिदिन 50 लाख बैरल तेल की खपत होती है, जिसमें से 60 प्रतिशत हिस्सा खाड़ी से आता है।

2019 के आँकड़ों के अनुसार खाड़ी के देशों में से इराक से सबसे ज़्यादा कच्चे तेल का 22 फ़ीसदी हिस्सा आता है। सउदी अरब से 19 फ़ीसदी, यूएई से 9 फ़ीसदी और उसके बाद नाइजीरिया, वेनेज़ुएला, कुवैत, अमेरिका, मेक्सिको, इरान जैसे देशों से आता है।

खाड़ी देश व्यापार साझीदार

जब पूरी दुनिया व्यापार के लिए एक-दूसरे पर निर्भर हैं, खाड़ी के देश इस मामले में भारत के लिए काफ़ी अहम हैं। टीओआई ने विश्व बैंक, आरबीआई, विदेश मंत्रालय के आँकड़ों के हवाले से ख़बर दी है कि खाड़ी का देश संयुक्त अरब अमीरात भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। भारत और यूएई का द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में 72.9 बिलियन डॉलर था, जिसमें भारत का निर्यात 28.4 बिलियन डॉलर था। नये समझौतों के तहत 2026 तक 100 अरब डॉलर तक व्यापार के पहुँचने की उम्मीद है।

निर्यात के मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। 

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यूएई के अलावा भी खाड़ी के दूसरे देशों के साथ भारत के व्यापारिक रिश्ते हैं। खाड़ी क्षेत्र विशेष रूप से खाद्य और अनाज के आयात पर निर्भर है; उनके भोजन का 85% से अधिक और उनके अनाज का 93% आयात किया जाता है। चावल, भैंस का मांस, मसाले, समुद्री उत्पाद, फल, सब्जियां और चीनी भारत से प्रमुख रूप से निर्यात किए जाते हैं।

खाड़ी से भारतीय भेजते हैं कमाई 

दुनिया भर में रहने वाले भारतीय अपने देश में कमाई का पैसा यानी रेमिटेंस भेजते हैं। यह जानकर आप चौंक जाएंगे कि 2018 में दुनिया भर से आने वाले ऐसे कुल पैसे में से आधे सिर्फ खाड़ी के पाँच देशों से आए। रेमिटेंस के आने वाले कुल पैसे में यूएई से 26.9 फ़ीसदी, सउदी अरब से 11.6 फ़ीसदी, क़तर से 6.5, कुवैत से 5.5 और ओमान से 3 फ़ीसदी शामिल हैं।

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खाड़ी में 89 लाख भारतीय

व्यापार के इन आँकड़ों के अलावा एक अहम तथ्य यह भी है कि खाड़ी के देशों में 89 लाख भारतीय रहते हैं। खाड़ी देशों में कुछ प्रमुख खुदरा स्टोर और रेस्तरां भारतीयों के हैं। पैगंबर मोहम्मद साहब पर बीजेपी नेताओं की टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया जा रहा है। यदि ऐसा होता है तो भारतीयों के व्यवसाय प्रभावित हो सकते हैं। क्या इन सभी तरह के व्यावसायिक नुक़सान कोई भी सत्ताधारी पार्टी सह सकेगी?
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क़मर वहीद नक़वी
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