बीजेपी नेताओं पर नफ़रत फैलाने के बड़े-बड़े आरोप लगे, पर वह शायद ही कभी बैकफुट पर नज़र आई हो। बल्कि पहले तो वह और ज़्यादा आक्रामक नज़र आती रही थी। लेकिन अब पैगंबर मोहम्मद साहब पर बीजेपी नेताओं की टिप्पणी के बाद बीजेपी न सिर्फ़ बैकफुट पर है, बल्कि वह कई मायनों में झुकती हुई दिख रही है। बीजेपी की आख़िर ऐसी मजबूरी क्या है? क्या यह मजबूरी खाड़ी देशों की ज़बरदस्त नाराज़गी की वजह से है?