एमपी चुनाव से ठीक पहले समान नागरिक संहिता को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने बयान दिया और उसके बाद गहमागहमी तेज हो गई है। गुजरात से पहले उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने का ऐलान किया था। लेकिन अभी वहां इस दिशा में कुछ ठोस नहीं हो पाया। अलबत्ता हिमाचल में तो अब सरकार भी बदल चुकी है। यूपी से जबतब बयान आते हैं लेकिन अभी कोई पहल नहीं हुई है।
क्या है समान नागरिक संहिता?, क्यों है इसे लेकर विवाद?
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- 29 Oct, 2022
प्रधानमंत्री ने 27 जून को भोपाल में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मुद्दा फिर छेड़ा है। लेकिन समझना होगा कि समान नागरिक संहिता क्या है और इसका विरोध आखिर क्यों होता है?

इस साल अप्रैल में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी समान नागरिक संहिता लाने की बात कही थी। जबकि गोवा इस संबंध में कानून बना चुका है। गोवा में इससे पहले 19वीं सदी का पुर्तगाली नागरिक संहिता का क़ानून था जिसे 1961 में गोवा के भारत में शामिल होने के बाद भी समाप्त नहीं किया गया था।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि वह अगर सत्ता में आई तो समान नागरिक संहिता को लागू करेगी। बीजेपी के एजेंडे में राम मंदिर, धारा 370 के साथ ही समान नागरिक संहिता भी प्रमुख मुद्दा रहा है। राम मंदिर और धारा 370 पर सरकार तेजी से आगे बढ़ चुकी है लेकिन समान नागरिक संहिता पर वह सुस्त दिखाई देती है।