पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भारत में उदारीकरण की नीतियों को लागू करने वाले और एक ऐसे शख़्स के रूप में जाना जाता है जिनकी वजह से विश्व भर में 2008 में आई व्यापक मंदी के बावजूद भारत इससे अछूता रहा। पिछले कुछ समय से जारी ख़राब आर्थिक हालात को लेकर उन्होंने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर सवाल उठाये थे और वित्त मंत्री का ताज़ा बयान सामने आने के बाद माना जा रहा है कि क्या उन्होंने यह बयान देकर पलटवार किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कार्यकाल सरकारी बैंकों के लिए सबसे ख़राब दौर था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार को कोलंबिया यूनिवर्सिटी में बोल रही थीं।
रघुराम राजन भी मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाते रहे हैं। कुछ ही दिन पहले उन्होंने कहा था कि मौजूदा 'केंद्रीय सत्ता' भारत को एक 'अंधेरे और अनिश्चित रास्ते' पर ले जा रही है। राजन ने इस ओर भी इशारा किया था कि अर्थव्यवस्था की ऐसी हालत इसलिए हुई है कि अर्थव्यवस्था पर फ़ैसले सभी पक्षों की राय लेकर नहीं, बल्कि केंद्र की सत्ता में कुछ गिने-चुने लोग ले रहे हैं और इससे देश को नुक़सान हो रहा है। राजन मोदी सरकार की नीतियों की कई बार आलोचना कर चुके हैं। माना जा रहा है कि वित्त मंत्री ने राजन पर भी जवाबी हमला बोला है।
वित्त मंत्री ने एनपीए या बैड लोन को लेकर भी पूर्व की मनमोहन सिंह सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि आरबीआई के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का बैड लोन 2011-2012 में 9,190 करोड़ रुपये से बढ़कर 2013-2014 में 2.16 लाख करोड़ हो गया था।
निर्मला सीतारमण देश की अर्थव्यवस्था की ख़राब हालत को लेकर लगातार निशाने पर हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक से लेकर मूडीज जैसी प्रतिष्ठित संस्था ने भारत की अनुमानित विकास दर घटने की बात कही है। इसके अलावा आरबीआई ने भी विकास दर के लक्ष्य को घटा दिया है और ऑटो उद्योग से लेकर कोर सेक्टर किस हालात से जूझ रहे हैं, इस बारे में आए दिन ख़बरें आ रही हैं।
भाषण के दौरान इस पर टिप्पणी करते हुए सीतारमण ने कहा, 'मुझे यकीन है कि डॉ. राजन इस बात से सहमत होंगे कि मनमोहन सिंह का भारत के लिए ‘स्पष्ट तौर पर व्यक्त’ वाला नज़रिया रहा होगा।'
वित्त मंत्री ने कहा, 'मैं रघुराम राजन की एक महान स्कॉलर के रूप में इज्जत करती हूँ क्योंकि वह ऐसे वक्त में आरबीआई के गवर्नर बने, जब अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में थी।' सीतारमण ने राजन पर निशाना साधते हुए कहा, 'रघुराम राजन ही उस समय आरबीआई के गवर्नर थे, जब नेताओं के एक फ़ोन पर लोन दे दिए जाते थे और उस मुसीबत से निकलने के लिए सरकारी क्षेत्र के बैंक अभी तक सरकार से मिलने वाली पूंजी पर निर्भर हैं।’ हालांकि उन्होंने संपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा के लिए राजन का आभार भी जताया।
नेतृत्व के केंद्रीकरण के सवाल पर केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि नेतृत्व के बहुत ज़्यादा लोकतांत्रिक होने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। भारत की तरह विविधता और प्रभावी नेतृत्व वाला देश होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की दुर्गंध से डर लगता है और पहले की सरकारों द्वारा किये गये भ्रष्टाचार को हम आज तक साफ़ कर रहे हैं।
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