चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर अब तक कारण बताओ नोटिस जारी करते रहे चुनाव आयोग ने बीआरएस नेता केसीआर के ख़िलाफ़ बड़ी कार्रवाई की है। उल्लंघन के लिए उनको 48 घंटे के लिए प्रचार करने से रोक दिया गया है।
चुनाव आयोग ने इस लोकसभा चुनाव के दौरान अब तक की सबसे कड़ी कार्रवाई की है। इसने एक सार्वजनिक रैली के दौरान कांग्रेस के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक और आपत्तिजनक बयान देने के लिए तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री को चुनाव प्रचार करने से रोका है। कांग्रेस ने 6 अप्रैल को चुनाव आयोग से उससे एक दिन पहले की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में केसीआर की कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियों के बारे में शिकायत की थी।
शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने पहले उन टिप्पणियों पर केसीआर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। 23 अप्रैल को नोटिस का जवाब देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोपों से इनकार किया था। उन्होंने बताया था कि अनुवाद में उनके मूल कथन का अर्थ गलत समझा गया। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कांग्रेस पर उनकी टिप्पणी से कुछ वाक्यों को संदर्भ से हटाने और तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का भी आरोप लगाया था।
केसीआर ने कहा कि उन्होंने अपनी आलोचना कांग्रेस की नीतियों और कार्यक्रमों तक ही सीमित रखी है। उन्होंने यह भी दावा किया था कि चुनाव आयोग के कहे के अनुसार उन्होंने किसी भी कांग्रेस नेता के ख़िलाफ़ व्यक्तिगत हमला नहीं किया।
चुनाव आयोग ने केसीआर को ख़त लिखा है और कहा है कि उनके बयान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हैं। चुनाव प्रचार पर यह प्रतिबंध 1 मई रात 8 बजे से 48 घंटों के लिए प्रभावी है।
बता दें कि चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर पीएम मोदी और राहुल गांधी जैसे नेताओं को भी नोटिस जारी किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को नोटिस भेजा गया है तो राहुल गांधी के भाषण को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को।
चुनाव आयोग ने 25 अप्रैल को नोटिस जारी किया था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में कथित तौर पर विभाजनकारी व मानहानिजनक भाषण दिया था। मल्लिकार्जुन खड़गे को नोटिस उस शिकायत पर दिया गया था जिसमें भाजपा ने कहा था कि केरल के कोट्टयम में राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान पीएम मोदी के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण आरोप लगाए।
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