मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) के चयन को लेकर हाल ही में उठे विवाद ने चुनाव आयोग की ईमानदारी को लेकर तीखी बहस छेड़ दी है। आलोचक इस बात पर चिंता जता रहे हैं कि यह प्रक्रिया आयोग की स्वतंत्रता को कमजोर करती है, जो लोकतांत्रिक शासन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोपों के साथ, कई लोग पूछ रहे हैं: क्या चुनाव आयोग अभी भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में निष्पक्ष रह सकता है?