बिहार की राजनीति ने रविवार 28 जनवरी को एक और करवट ली। जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने रविवार को इस्तीफा देकर महागठबंधन की सरकार गिरा दी। अब वो भाजपा के समर्थन से सरकार बनाएंगे और इंडिया से एनडीए में प्रवेश कर जाएंगे। भाजपा ने समर्थन की घोषणा कर दी है। नीतीश ने एक बार फिर खुद को पलटू कुमार साबित कर दिया है। लेकिन इस घटनाक्रम से इंडिया गठबंधन को धक्का लगा है।
बिहार में जारी उठापटक के बीच आरजेडी इन संभावनाओं को तलाश रही है कि अगर सरकार बचानी पड़ेगी तो 8 विधायकों का जुगाड़ कहां से होगा और कैसे होगा। गुरुवार को पटना में महत्वपूर्ण घटना क्रम हुए। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार फिर से पलटी मारकर भाजपा से हाथ मिला सकते हैं। बिहार भाजपा के नेता आलाकमान से चर्चा के लिए गुरुवार रात दिल्ली पहुंच रहे हैं। नीतीश का इस्तीफा कभी भी आ सकता है।
बिहार की चुनावी राजनीति को लेकर तमाम टीवी चैनल जो आंकड़ों की बाजीगरी कर रहे हैं, वो कितना सच है। क्या बिहार में नीतीश कुमार वाकई कमजोर हो रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार शैलेश का सटीक विश्लेषण पढ़िएः
बिहार चुनाव का एलान हो गया है। यानी युद्ध का बिगुल बज चुका है। यह नीतीश का विजयनाद है या उनके विरोधियों की गर्जना? क्या बिहार बदलाव की ओर बढ़ रहा है? बिहार की राजनीति के जानकार पत्रकार शैलेश, शीतल, मुकेश कुमार, राजेंद्र तिवारी और समी अहमद के साथ आलोक जोशी की चर्चा