विधानसभा चुनाव के आंकड़े एनडीए पर भारी
.एलजेपी के प्रतिष्ठित नेता राम बिलास पासवान की मृत्यु हो चुकी है। उनकी पार्टी अब दो भागों में बँट गयी है। दोनों हिस्से एनडीए के 38 पार्टियों की बैठक में शामिल थे, लेकिन अभी उनमें एकता का कोई संकेत नहीं मिला है। एक गुट के नेता और राम बिलास के भाई पशुपति पारस अभी केंद्र में मंत्री हैं। राम बिलास के बेटे और दूसरे गुट के नेता चिराग़ पासवान को हाल ही में एनडीए में शामिल किया गया है।राम बिलास पासवान की ग़ैर मौजूदगी और पार्टी के दो फाड़ होने के बाद भी उसे दो सीट मिलने की भविष्य वाणी की गयी है। एनडीए ने अपने दो पुराने साझीदारों जीतन राम माँझी और उपेन्द्र प्रसाद को दोबारा अपने खेमे में लौटा लिया है। लेकिन इन तीनों पार्टियों की हैसियत जेडीयू के बराबर नहीं है।
2024 के चुनाव के मुद्दे तय नहींः नीतीश कुमार अब ‘इंडिया’ के शीर्ष नेता हैं। उन्हें अगले प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है। ‘इंडिया’ की पहली बैठक पटना में ही हुई। अभी तक उन्हें गठबंधन का नेता घोषित नहीं किया गया है। लेकिन अगली बैठक में नेता या संयोजक चुने जाने की उम्मीद है।
लोकसभा के अगले चुनाव का माहौल बनने, मुद्दे तय होने और राजनीतिक दलों की अंतिम रणनीति सामने आने में अभी देर है। लेकिन बिहार में बदलता राजनीतिक माहौल अभी से दिखाई देने लगा है। जातीय जनगणना यहाँ एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है, जिसका ‘इंडिया’ में शामिल ज़्यादातर पार्टियाँ समर्थन करती हैं। लेकिन अभी तक बीजेपी ने इसे स्वीकार नहीं किया है।
इन सब के वावजूद चैनल के सर्वे में बीजेपी को लोक सभा में बढ़त मिलने के गणित का कोई ठोस आधार नहीं है। बिहार में कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों का आधार भी ख़त्म नहीं हुआ है। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 19 और सीपीआई एमएल को 12 सीटें मिली थीं। जेडीयू के 45 विधायक हैं। इन्हें भी नकारा नहीं जा सकता है।
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