भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने कहा है कि जब निचली अदालतों के जज धमकियों के बारे में शिकायत करते हैं तो सीबीआई और ऐसी ही दूसरी जाँच एजेंसियाँ कोई प्रतिक्रिया नहीं देती हैं। वह धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद की कथित हत्या के मामले में प्रतिक्रिया दे रहे थे। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जब न्यायाधीश शिकायत करते हैं तो वे बिल्कुल मदद नहीं करते हैं और सीबीआई ने अपने रवैये में कोई बदलाव नहीं दिखाया है। अदालत ने केंद्र से न्यायाधीशों की सुरक्षा के लिए लंबित याचिका पर एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को भी कहा है।
सीजेआई ने इस मामले में जिस तरह का रवैया अपनाने के लिए जाँच एजेंसियों की तीखी आलोचना की है वैसी ही आलोचना झारखंड उच्च न्यायालय ने इसी हफ़्ते झारखंड पुलिस की भी की थी। इसने कहा था कि झारखंड पुलिस 'एक ख़ास जवाब' पाने के लिए ख़ास 'सवाल पूछ रही है'। कोर्ट ने कहा कि यह सही नहीं है।
धनबाद ज़िले की यह घटना 28 जुलाई को हुई थी। शुरुआती रिपोर्ट आई थी कि जज की मौत ऑटो की टक्कर से हुई। लेकिन इसके साथ ही हत्या की आशंका जताई जा रही थी। बाद में इस घटना का वीडियो आने पर वह आशंका और पुष्ट हुई कि यह टक्कर जानबूझकर मारी गई है। घटना सुबह उस वक़्त हुई थी जब एडिशनल जज उत्तम आनंद मॉर्निंग वॉक पर थे। वीडियो क्लिप में दिख रहा था कि जज उत्तम आनंद सड़क किनारे मॉर्निंग वॉक पर थे और पूरी सड़क खाली थी। लेकिन ऑटो ड्राइवर ऑटो को बीच सड़क से किनारे ले आया और जज को टक्कर मारकर फरार हो गया। बाद में ऑटो को जब्त कर लिया गया था। उस ऑटो को चुराया गया था। काफ़ी पहले ही दो लोगों की गिरफ़्तारी हो चुकी है।
तब घटना के दूसरे दिन ही सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को उठाया गया था। इसी मामले को आज फिर से सुप्रीम कोर्ट में उठाया गया। इसी दौरान मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जब हाई प्रोफाइल मामलों में अनुकूल आदेश पारित नहीं किए जाते तो न्यायपालिका को बदनाम करने की प्रवृत्ति थी। उन्होंने कहा, 'गैंगस्टरों से जुड़े हाई प्रोफाइल मामलों में वाट्सऐप और फेसबुक पर अपमानजनक संदेश न्यायाधीशों को मानसिक रूप से परेशान करने के लिए भेजे जाते हैं।'
उन्होंने कहा, 'सीबीआई ने कुछ नहीं किया है। हमने सीबीआई के रवैये में कुछ बदलाव की उम्मीद की थी लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ है। खेद है कि यह स्थिति है।' सीजेआई रमन्ना ने कहा कि जब न्यायाधीश सीबीआई और खुफिया ब्यूरो से धमकी की शिकायत करते हैं तो वे कोई जवाब नहीं देते।
उन्होंने कहा, 'जाँच एजेंसियाँ बिल्कुल भी मदद नहीं करती हैं और मैं ज़िम्मेदारी की भावना के साथ यह बयान दे रहा हूँ। मैं और अधिक खुलासा नहीं कर रहा हूँ। कुछ करना होगा।'
जज उत्तम आनंद की कथित हत्या के मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए झारखंड हाई कोर्ट ने हाल ही इसकी जाँच कर रही एसआईटी यानी विशेष जाँच दल की ज़बरदस्त फटकार लगाई है।
हाई कोर्ट ने कहा था कि ऑटोप्सी रिपोर्ट में कहा गया है कि मौत 'सिर पर कठोर और कुंद पदार्थ से चोट लगने के कारण' हुई थी। इसी का हवाला देते हुए कोर्ट ने पूछा कि ऐसे में पुलिस क्यों पूछ रही थी कि क्या गिरने के कारण ऐसी चोटें संभव हैं।
इस मामले में झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण की खंडपीठ ने कहा था, "हमने जाँच अधिकारी श्री विनय कुमार... डॉ. कुमार शुभेंदु, सहायक प्रोफेसर... एसएनएमसीसी, धनबाद से तैयार की गई प्रश्नावली का अध्ययन किया है: 'कृपया बताएँ कि क्या सिर में चोट सड़क की सतह पर गिरने से संभव है या नहीं?' ... जब जाँच एजेंसी मौत के कारणों का पता लगाने के लिए घटना की जाँच कर रही है, फिर जाँच अधिकारी द्वारा संबंधित डॉक्टर से कैसे और किन परिस्थितियों में ऐसा सवाल पूछा जा रहा है, वह भी तब जब सीसीटीवी फुटेज घटना के पूरे दृश्य को स्पष्ट करता है?"
बेंच ने कहा, 'पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट स्पष्ट रूप से खुलासा करती है कि घातक चोट एक कठोर और कुंद पदार्थ के कारण लगी है। तो अब जाँच एजेंसी को अपराध में इस्तेमाल किए गए हथियार का पता लगाना है। एक विशेष जवाब पाने के लिए डॉक्टर को एक विशेष प्रश्न पूछने की बिल्कुल भी सराहना नहीं की जाएगी।' अदालत ने कहा कि उसे पुलिस से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
अदालत ने कहा कि साज़िश का पता लगाना और मास्टरमाइंड को पकड़ना आवश्यक है और सिर्फ़ मोहरे को पकड़ना किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा। कोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज करने में हो रही देरी पर भी सवाल उठाया।
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