रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 'अग्निपथ' योजना की घोषणा की और मोदी सरकार पूर्व रक्षा अधिकारियों, विशेषज्ञों, छात्रों और विपक्ष के निशाने पर आ गई। लेकिन अब बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने ही इस योजना पर कई सवाल उठाए हैं। इन सवालों को लेकर वरुण गांधी ने राजनाथ सिंह को ख़त लिखा है। उन्होंने उस ख़त में कहा है कि 'अग्निपथ' योजना को लेकर देश के युवाओं में कई सवाल हैं।
बीजेपी सांसद ने दो पन्नों के ख़त को साझा करते हुए ट्वीट में लिखा है कि युवाओं को असमंजस की स्थिति से बाहर निकालने के लिए सरकार तुरंत योजना से जुड़े नीतिगत तथ्यों को सामने रख कर अपना पक्ष साफ़ करे।
आदरणीय @rajnathsingh जी,
— Varun Gandhi (@varungandhi80) June 16, 2022
'अग्निपथ' योजना को लेकर देश के युवाओं के मन में कई सवाल हैं।
युवाओं को असमंजस की स्थिति से बाहर निकालने के लिए सरकार अतिशीघ्र योजना से जुड़े नीतिगत तथ्यों को सामने रख कर अपना पक्ष साफ करे।
जिससे देश की युवा ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग सही दिशा में हो सके। pic.twitter.com/6UkcR4FEBJ
उनका यह ख़त तब सामने आया है जब 'अग्निपथ' योजना को लेकर पूरे देश भर में हंगामा मचा है। बिहार में तो हिंसात्मक प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। गुरुवार को बिहार के जहानाबाद में छात्रों ने सड़क को जाम कर दिया और बक्सर में भी छात्र रेलवे ट्रैक पर उतर आए।
वैसे तो इस योजना को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, लेकिन युवाओं का मुख्य सवाल इस बात को लेकर है कि 4 साल के ठेके पर फौज में भर्ती देश की सुरक्षा के लिए सुखद संदेश नहीं है। चार साल की नौकरी के बाद भर्ती हुए युवाओं के भविष्य का क्या होगा?
वरुण गांधी ने भी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को लिखे ख़त में इन मुद्दों को उठाया है। उन्होंने लिखा है, 'सेना में 15 साल की नौकरी के बाद रिटायर हुए नियमित सैनिकों को कॉरपोरेट सेक्टर नियुक्त करने में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाते। ऐसे में 4 साल की अल्पावधि के उपरांत इन अग्निवीरों का क्या होगा? चार साल सेना में सेवा देने के दौरान इन युवकों की पढ़ाई बाधित होगी। साथ ही अन्य समकक्ष छात्रों की तुलना में ज़्यादा उम्रदराज होने के कारण अन्य संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करने और नौकरी पाने में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।'
उन्होंने सुरक्षा के मुद्दे को उठाते हुए कहा है, 'स्पेशल ऑपरेशन के समय सशस्त्र बलों में स्पेशलिस्ट काडर वाले सैनिकों की ज़रूरत होती है, ऐसे में महज 6 महीने की बेसिक ट्रेनिंग प्राप्त इन सैनिकों के कारण वर्षों पुरानी रेजिमेंटल संरचना बाधित हो सकती है।' उन्होंने कहा है कि इस योजना से प्रशिक्षण लागत की बर्बादी भी होगी, क्योंकि 4 साल के बाद सेना इन प्रशिक्षित जवानों में केवल 25 फ़ीसदी का उपयोग ही करेगी। वरुण गांधी ने कम सैलरी का मुद्दा भी उठाया है।
बता दें कि विपक्षी दलों के नेता इस योजना में कई खामियों की ओर इशारा कर रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार भारतीय सेना की गरिमा, परंपरा, अनुशासन की परिपाटी से खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहा- 4 साल के ठेके पर फौज में भर्ती देश की सुरक्षा के लिए सुखद संदेश नहीं है। चार साल की नौकरी के बाद भर्ती हुए युवाओं के भविष्य का क्या होगा? सुरजेवाला ने सवाल किया, ‘एक तरफ पाकिस्तान की सीमा और दूसरी तरफ चीन की सीमा है तो क्या नियमित भर्ती पर पाबंदी लगाकर चार साल की ठेके की भर्ती करना देशहित में है?’
उन्होंने यह भी पूछा,‘चार साल के बाद 22 से 25 साल की उम्र में बगैर किसी अतिरिक्त योग्यता के ये युवा अपने भविष्य का निर्माण कैसे करेंगे?’
कैप्टन अमरिंदर की आपत्ति
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने भी सैनिकों की नई भर्ती योजना पर गंभीर आपत्ति जताई है। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में अमरिंदर सिंह ने इस फ़ैसले की आलोचना की। कैप्टन सिंह ने कहा कि सैनिक भर्ती की नई प्रक्रिया सिख रेजिमेंट, सिख लाइट इन्फैंट्री, गोरखा राइफल्स, राजपूत रेजिमेंट, जाट रेजिमेंट, आदि सिंगल क्लास रेजिमेंटों के लिए मौत की घंटी बजाने जैसा है।
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा, ‘वो नौजवान कौन होगा? आरएसएस या बीजेपी का कार्यकर्ता होगा। लोग बेरोजगारी से परेशान हैं और यह नया शिगूफा छोड़ दिया गया।’ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, ‘इसका मतलब है कि जवानों को बंदूक चलाना सिखा दो और समाज में छोड़ दो। क्या करना चाहते हैं? यह नौजवानों को भटकाने की कोशिश हो रही है।'
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