अग्निपथ योजना के विरोध में बिहार से शुरू हुआ छात्रों का प्रदर्शन अब देश के दूसरे हिस्सों में फैलने लगा है। बिहार के कई शहरों में प्रदर्शन के बाद गुड़गांव में छात्र सड़क पर उतर आए हैं और उन्होंने कुछ देर के लिए दिल्ली-जयपुर हाईवे को जाम कर दिया। बड़ी संख्या में मौजूद प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि अग्निपथ योजना के तहत 4 साल सेना में रहने के बाद आखिर नौजवान कहां जाएंगे।
बता दें कि युवाओं की सबसे बड़ी चिंता इसी एक मुद्दे पर है और अपने विरोध प्रदर्शनों के दौरान वे लगातार इस बात को बुलंद कर रहे हैं। युवाओं ने कहा कि उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
उधर, अग्निपथ योजना के विरोध में गुरूवार को बिहार के जहानाबाद में छात्रों ने सड़क को जाम कर दिया और बक्सर में भी छात्र रेलवे ट्रैक पर उतर आए।
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वरुण गांधी ने लिखा पत्र
युवाओं के लगातार प्रदर्शन के बीच जहां विपक्षी राजनीतिक दलों ने इस योजना को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं तो वहीं बीजेपी के सांसद वरुण गांधी ने भी इस संबंध में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है।
वरुण गांधी ने कहा है कि स्पेशल ऑपरेशन के समय सशस्त्र बलों में स्पेशलिस्ट कॉडर वाले सैनिकों की जरूरत होती है और ऐसे में सिर्फ 6 महीने की बेसिक ट्रेनिंग प्राप्त सैनिकों के कारण सेना की पुरानी रेजिमेंटल संरचना बाधित हो सकती है।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी अग्निपथ योजना को लेकर ट्वीट किया है और कहा है कि इसके खिलाफ युवाओं में आक्रोश है।
न कोई रैंक, न कोई पेंशन
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 16, 2022
न 2 साल से कोई direct भर्ती
न 4 साल के बाद स्थिर भविष्य
न सरकार का सेना के प्रति सम्मान
देश के बेरोज़गार युवाओं की आवाज़ सुनिए, इन्हे 'अग्निपथ' पर चला कर इनके संयम की 'अग्निपरीक्षा' मत लीजिए, प्रधानमंत्री जी।
सरकारों ने किए एलान
दूसरी ओर केंद्र सरकार व बीजेपी शासित राज्य सरकारें अग्निपथ योजना के तहत 4 साल तक सेना में रहने के बाद बाहर आने वालों के लिए नए-नए एलान कर रही हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि सेना की अग्निपथ योजना में शामिल होने वाले जवानों को चार साल बाद असम राइफल्स समेत तमाम सशस्त्र बलों में रखा जाएगा।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार व हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने भी ऐसे युवाओं के लिए अहम एलान किए हैं।
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क्या है अग्निपथ योजना?
अग्निपथ योजना के तहत 17.5 साल से 21 साल के 45000 से 50000 युवाओं को 4 साल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा। 90 दिनों के भीतर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी और जुलाई 2023 तक पहला बैच तैयार हो जाएगा।4 साल के बाद केवल 25 फीसद जवान ही आर्म्ड फोर्सेस में वापस आ सकेंगे जबकि बाकी लोग सेवाओं से बाहर हो जाएंगे। उन्हें किसी तरह की पेंशन की सुविधा का फायदा भी नहीं मिलेगा।
इस योजना के आलोचकों का कहना है कि 4 साल नौकरी करने के बाद जब युवक और युवतियां आर्म्ड फोर्सेस से बाहर निकलेंगे तो वे क्या करेंगे, यह बड़ा सवाल है। आलोचकों का कहना है कि 6 महीने की ट्रेनिंग बेहद कम है और आर्म्ड फोर्सेस में ट्रेनिंग के लिए काफी ज्यादा वक्त चाहिए।
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