देश में 100 करोड़ टीके लगने पर जश्न का माहौल तो ठीक है, लेकिन टीकाकरण के मौजूदा हालात भी कम चिंताजनक नहीं है। ये जो टीके लगाए गए हैं इनमें से वैक्सीन लगाने की योग्य आबादी के क़रीब 30 फ़ीसदी लोगों को ही दोनों खुराक लगाई जा सकी हैं। क़रीब 71 करोड़ पहली खुराक लगाई गई हैं और बाक़ी की क़रीब 29 करोड़ ही दूसरी खुराक लगाई जा सकी हैं। एक खुराक लगाने का मतलब है कि वे अभी भी कोरोना संक्रमण से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं और इसके फैलने का ख़तरा है। बच्चों को अभी भी टीका लगाया जाना शुरू नहीं हुआ है। अक्टूबर महीने में टीकाकरण की रफ़्तार कम हुई है। और काफ़ी पहले जिन्हें टीके लग गए हैं उनमें एंटी-बॉडी कमजोर पड़ने लगी है। यानी ऐसे लोगों के लिए तीसरी खुराक ज़रूरी हैं।
100 करोड़ टीके का जश्न मनाने से पहले टीकाकरण के ख़राब हालात तो देख लें!
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- 21 Oct, 2021
कोरोना टीकाकरण में 100 करोड़ खुराक लगाना बड़ी उपलब्धि तो है, लेकिन क्या इस उपलब्धि के आगे चुनौतियों पर नज़र है? क्या इसकी चिंता है कि टीकाकरण कम क्यों पड़ रहा है?

देश की आबादी 130 करोड़ से ज़्यादा है। सरकार ने ही कहा है कि इनमें से 93-94 करोड़ लोग 18 वर्ष से ज़्यादा उम्र के हैं यानी वयस्क हैं। इसका मतलब है कि सिर्फ़ पूरी वयस्क आबादी को ही टीके लगाने के लिए क़रीब 190 करोड़ खुराक चाहिए। यदि बच्चों को भी शामिल कर लिया जाए तो 260 करोड़ से ज़्यादा खुराक चाहिए।