लोकसभा चुनावों में मिली शिकस्त से हरियाणा भाजपा में एक बड़ी बेचैनी फिर से प्रदेश में सरकार बनाने को लेकर गहराई हुई है। लोकसभा चुनावों में दावों के विपरीत भाजपा का प्रदर्शन भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के लिया भी चिंता का विषय बना हुआ है। लोकसभा चुनावों में 5 में से 3 सीट दल-बदलुओं- कुरुक्षेत्र में कांग्रेस से आये नवीन जिंदल, भिवानी महेन्दरगढ़ में पुराने कांग्रेसी धर्मवीर सिंह और गुरुग्राम में राव इंद्रजीत के आसरे ही भाजपा अपने  खाते में ला सकी है। अन्य दल-बदलुओं- सिरसा में अशोक तंवर, रोहतक में अरविन्द शर्मा, हिसार में रणजीत सिंह चौटाला को मतदाताओं ने नकार दिया।  वर्तमान में 90 सीटों की प्रदेश विधान सभा में भाजपा की सरकार अल्पमत में है, जिस पर विपक्षी दल कांग्रेस निरन्तर हमलावर है। 2019 के विधानसभा चुनाव में 40 सीट जीत कर भाजपा पूर्ण बहुत से वंचित रह गयी थी लेकिन भाजपा का विरोध कर 10 सीटों पर जीत हासिल करनेवाली जजपा के समर्थन से सरकार बनाने में कामयाब हुयी थी। लोकसभा चुनावों से एन पहले जजपा से गठबंधन तोड़ कर और प्रदेश में मुख्यमंत्री बदल कर जनता के आक्रोश को कम करने की कवायद भी भाजपा को कोई ख़ास लाभ पहुंचा नहीं पायी। विधानसभा चुनावों में फिर से बहुमत हासिल करने के जोड़तोड़ में लगी भाजपा अपनी परिचित रणनीति को फिर से आगे बढ़ने में लगी है जिसका ताजा उदाहरण पुराने कांग्रेसी बंसी लाल के परिवार में सेंध लगाना है।