हरियाणा पुलिस नूंह के रहने वाले 21 वर्षीय वारिस खान की मौत की दोबारा से
जांच करेगी। इस साल 28 जनवरी को नूंह
के हुसैनपुर के रहने वाले वारिस की एक सब्जी विक्रेता की वैन से टक्कर में कार से
मौत हो गई थी। वारिस के परिवार वालों ने आरोप लगाया था कि मोनू मानेसर के नेतृत्व
में गोरक्षकों का नेटवर्क इस हत्या में शामिल था। पुलिस ने कहा था कि वारिस खान (22) की मौत अस्पताल में आंतरिक चोटों के कारण हुई थी।
उसने तावड़ू-भिवाड़ी रोड पर गोरक्षकों से बचने की कोशिश में अपनी कार को एक पिक-अप
वैन से टक्कर मार दी थी।
पुलिस ने अब वारिस
खान की मौत के मामले में दोबारा से जांच शुरु कर दी है। पुलिस ने रविवार को बताया
कि 28 जनवरी को नूंह
में मोहित यादव उर्फ मोनू मानेसर के नेतृत्व में गोरक्षकों द्वारा पकड़े गए वारिस
खान की मौत की नए सिरे से जांच शुरू की जाएगी।
पुलिस की जांच
शुरु करने से पहले वारिस खान की मौत का मुद्दा 22 फरवरी को हरियाणा विधानसभा में भी उठा था। कांग्रेस
के दो विधायकों फिरोजपुर झिरका से मम्मन खान और पुन्हाना से मोहम्मद इलियास ने इस
मामले को विधानसभा में उठाया था, उसके बाद उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा था
कि मामले की दोबारा से जांच की जाएगी।
पुलिस के अनुसार, खान की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण है
दुर्घटना में उन्हें आंतरिक चोटें आईं, जो उनकी मौत का कारण बने। हालांकि, उनके परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया था कि गोरक्षकों
ने उन पर हमला किया था और इससे उनकी मौत हो गई। नूंह जिले के
पुलिस अधीक्षक वरुण सिंगला ने कहा, "दक्षिण रेंज, रेवाड़ी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी)
की अध्यक्षता में एक समिति जांच करेगी। जैस ही हमें पुलिस मुख्यालय से आदेश मिलते
हैं हम मामले की जांच शुरू कर देंगे।
वारिस के बड़े
भाई इमरान ने कहा कि वे अपने भाई की मौत की जांच के लिए कानून के साथ निर्वाचित जन
प्रतिनिधियों की मदद ले रहे हैं। इमरान ने आरोप लगाया कि कई लोगों ने देखा कि उनके
भाई और दो अन्य लोगों पर पुलिस चौकी के सामने गोरक्षकों ने हमला किया, कोई भी उन्हें बचाने नहीं आया। उन्होंने कहा, 'गौरक्षकों ने 28 जनवरी की घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड
किए थे लेकिन बाद में उन्हें हटा दिया।
वारिस खान की मौत
के कुछ दिनों बाद ही हरियाणा के भिवानी में राजस्थान के रहने वाले जुनैद और नासिर
की जलाकर हत्या कर दी गई। उनकी हत्या में भी मोनू मानेसर को ही आरोपी बनाया गया है।
पुलिस मामले की जांच कर रही है लेकिन मोनू और उसके साथी अभी तक फरार हैं।
जुनैद और नासिर
की पहचान के लिए कराई गई फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट में भी पुष्टि कर दी गई है कि 15
फरवरी को कार में जलाकर मारे गये दो लोंग नासिर और जुनैद ही हैं। जुनैद और नासिर
की मौत का आरोप भी मोनू मानेसर पर ही लग रहा है। मोनू मानेसर कथित तौर पर वहां के गोरक्षक
दल का सदस्य है। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार मोनू पुलिस के मुखबिर के तौर पर
भी काम कर रहा था। घटना के बाद से वह फरार चल रहा है।
मोनू मानेसर और उसके साथियों की गिरफ्तारी
को रोकने के लिए हरियाणा में कई जगहों पर महापंचायतें की जा रही हैं, जिसमें उसे
गिरफ्तार न करने की धमकी दी जा रही है। उसे हिंदू धर्म का गौरव बताया जा रहा है। राजस्थान
पुलिस की जांच में से मुख्य आरोपी बनाया गया है। लेकिन आरोपियों की पहचान और जांच
पड़ताल के लिए जो नाम और फोटो जारी किये गये हैं उसमें मोनू मानेसर का नाम शामिल
नहीं है। ऐसे में राजस्थान पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठ रहे हैं।
बीते एक महीने में
हरियाणा में गोरक्षकों की कार्रवाई से तीन मौतें हो चुकी हैं। मारे गये तीनों ही
लोग मुस्लिम समुदाय से आते हैं। हरियाणा में हो रही इस तरह की मौतों से लोगों में
गुस्सा है। लोग आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। लोग इस मामले में सड़कों
पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
रविवार को वारिस के बाद, जुनैद और नासिर की मौत ने विरोध शुरू हो
गया। सैकड़ों लोगों को सड़कों पर उतरते देखा गया। शुक्रवार को फिरोजपुर झिरका में
दिल्ली-अलवर सड़क को जाम कर दिया। पुलिस ने एहतियात के तौर नूंह मेवात के इलाके अधिक
विरोध प्रदर्शनों की आशंका को देखते हुए, हरियाणा सरकार ने रविवार को नूंह में मंगलवार तक इंटरनेट और
अधिकांश एसएमएस सेवाओं को बंद करने के लिए भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम और दूरसंचार
सेवाओं के अस्थायी निलंबन के प्रावधानों को लागू किया। बाद
में, प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 600 से ज्यादा लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया
गया। पुलिस रविवार को पुन्हाना, फिरोजपुर झिरका और नूंह सुबिडीविजन में फ्लैग
मार्च किया गया।
राजस्थान पुलिस
के अनुसार नासिर और जुनैद का 15 फरवरी को भरतपुर से कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया था और
गौरक्षकों के एक समूह ने भिवानी के बरवास गांव में उन पर हमला किया था।
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