किसान आंदोलन के बीच हरियाणा में ताज़ा घटनाक्रमों के बाद क्या मनोहर लाल खट्टर सरकार संकट में है? यह इसलिए कि राजनीतिक उठापटक इतनी तेज़ हो गई है कि लगता है कि स्थिति संभालने के लिए अमित शाह को जुटना पड़ा है। यदि ऐसा नहीं है तो फिर अमित शाह की खट्टर और दुष्यंत चौटाला के साथ बैठक क्यों? दुष्यंत चौटाला की अपने दल के विधायकों के साथ बैठक क्यों? खट्टर एकाएक निर्दलीय विधायकों के साथ लंच क्यों कर रहे हैं?
ये सवाल तब और उठ रहे हैं जब हाल ही में मुख्यमंत्री खट्टर की करनाल में किसान महापंचायत का ज़बरदस्त विरोध हुआ और उनको अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। कांग्रेस बार-बार विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव की माँग को लेकर मोर्चा खोले हुए है। और इस बीच आईएनएलडी के नेता अभय चौटाला ने विधानसभा अध्यक्ष को ख़त लिखकर कहा है कि कृषि क़ानूनों के विरोध में इसे विधानसभा से इस्तीफ़ा माना जाए। इन्हीं वजहों से मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार चौतरफा दबाव में है।
कृषि क़ानूनों को लेकर किसान आंदोलन के बाद बीजेपी विधायकों और जेजेपी विधायकों पर भी किसानों का साथ देने का दबाव है। इनके बारे में भी कहा जा रहा है कि उन्हें डर है कि अगले चुनाव में उन्हें वोट नहीं मिलेंगे। उन्हें यह डर इसलिए भी है क्योंकि किसान आंदोलन ने गठबंधन सरकार के मंत्रियों और विधायकों के लिए गाँवों में सार्वजनिक बैठकें करना मुश्किल कर दिया है। किसान उन्हें काले झंडे दिखा रहे हैं, उनके वाहनों का पीछा कर रहे हैं।
माना जा रहा है कि विधायकों के इधर-उधर छिटकने के डर से ही दुष्यंत चौटाला की अपनी पार्टी के विधायकों के साथ दिल्ली में बैठक है और अमित शाह की खट्टर और दुष्यंत चौटाला के साथ।
कहा जा रहा है कि किसान आंदोलन के बाद से बीजेपी और दुष्यंत के नेतृत्व वाली जेजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसी बीच सोमवार को कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने जब यह कह दिया कि सत्ताधारी दलों के कई नेता पार्टी छोड़ने को हैं।
बता दें कि हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन की सरकार है। 90 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी के 40 विधायक हैं और जेजेपी के 10 विधायक हैं। इसके अलावा निर्दलीय विधायकों की संख्या सात है। कांग्रेस के 31 विधायक हैं। इसके अलावा एक विधायक लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा हैं।
मनोहर लाल खट्टर के सामने विधायकों के विश्वास को बनाए रखने की चुनौती तो है ही, कांग्रेस भी उसके लिए बड़ी चुनौती है। कांग्रेस विधानसभा के बजट सत्र में बीजेपी सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने की जिद पर अड़ी है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा बजट सत्र से पहले ही विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए 15 जनवरी को राज्यपाल से भी मिलने वाले हैं।
बीजेपी को डर है कि किसानों के मुद्दे पर जेजेपी के कुछ विधायक बाग़ी हुए तो निर्दलीय विधायक उनके लिए सहारा बन सकते हैं। यही वजह है कि निर्दलीय विधायकों के साथ खट्टर लंच कर रहे हैं।
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