कांग्रेस हाईकमान के ख़िलाफ़ लंबे समय से बग़ावती तेवर अख़्तियार करे बैठे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आज रोहतक में परिवर्तन रैली कर अपनी ताक़त का प्रदर्शन किया। चार दशक से भी अधिक समय से कांग्रेस से जुड़े रहे हुड्डा के समर्थकों की लंबे समय से माँग रही है कि हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की कमान उनके नेता के हाथों में सौंपी जाए। हुड्डा ने रैली में खुलकर ख़ुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की माँग की है। माना जा रहा है कि अगर पार्टी ने उनकी माँग नहीं मानी तो वह पार्टी को अलविदा कह सकते हैं।
रैली में हुड्डा ने अपना घोषणापत्र पेश करते हुए कहा कि हरियाणा के लोगों को यहाँ की नौकरियों में 75 फ़ीसदी का आरक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा भी उन्होंने लोगों से कई वादे किये।
हुड्डा ने रैली में ताल ठोकते हुए कहा, ‘आज मैं अपनी सारी पाबंदियों से मुक्त होकर यहाँ आया हूँ।’
अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन
हुड्डा ने मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के फ़ैसले का भी समर्थन किया। इससे पहले दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी सरकार के इस फ़ैसले का पुरजोर समर्थन किया था। हुड्डा ने रैली में कहा, ‘सरकार जो ठीक काम करती है, चाहे केंद्र की या हो प्रदेश की, मैं ठीक को ठीक कहता हूँ। 370 हटाया, मेरी पार्टी भी कुछ भटक गई, वो पहले वाली कांग्रेस नहीं रही। लेकिन जहाँ तक सवाल है देशभक्ति का और स्वाभिमान का, मैं किसी से समझौता नहीं करूंगा। इसीलिए मैंने 370 को हटाने का समर्थन किया है।’ हुड्डा ने कहा कि वह आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं। हुड्डा समर्थकों ने दी चुनौती
हुड्डा के समर्थकों ने रैली में कांग्रेस हाईकमान पर तीख़े वार किये। पलवल के कांग्रेस विधायक करन दलाल, हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष फूल चंद मुलाना, पूर्व विधानसभा स्पीकर रघुबीर सिंह कादियान और झज्जर की विधायक गीता भुक्कल ने पार्टी हाईकमान को खुलेआम चुनौती दी कि अगर हुड्डा को पार्टी अध्यक्ष नहीं बनाया गया तो वह नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहे। बताया जाता है कि रैली में 60 से ज़्यादा पूर्व विधायकों, सांसदों ने शिरकत की। चुनाव में हरियाणा में हुई कांग्रेस की हार की समीक्षा करने के लिए प्रभारी ग़ुलाम नबी आजाद ने दिल्ली में बैठक बुलाई थी। इस बैठक में भी कांग्रेस में बग़ावती सुर और गुटबाज़ी देखने को मिली थी।
नेताओं में गुटबाज़ी चरम पर
बता दें कि हरियाणा में कांग्रेस की हालत बेहद पतली है। लोकसभा चुनाव में वह राज्य की सभी 10 सीटों पर चुनाव हार चुकी है। हरियाणा में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन कांग्रेस में आपसी गुटबाज़ी चरम पर है। कांग्रेस राज्य में विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर, कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला और भूपेंद्र हुड्डा के ख़ेमों में बँटी हुई है। इन सभी में हुड्डा की पूरे राज्य में अच्छी पकड़ है और माना जाता है कि हरियाणा में कांग्रेस के 15 में 13 विधायकों का समर्थन उनके पास है।हाल ही में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता पार्टी का दामन छोड़ चुके हैं। महाराष्ट्र और गोवा में पार्टी के नेता विपक्ष बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। कर्नाटक में उसके और जेडीएस के विधायकों ने बग़ावत की और राज्य में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार को जाना पड़ा। भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस के पुराने नेताओं में से एक हैं और अगर वह पार्टी का दामन छोड़ते हैं तो यह पार्टी के लिए बहुत बड़ा झटका साबित हो सकता है। हुड्डा का असर हरियाणा ही नहीं दिल्ली के जाट वोटरों पर भी माना जाता है। छह महीने के भीतर दिल्ली में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं। हुड्डा के पार्टी छोड़ने का असर हरियाणा के साथ आंशिक रूप से दिल्ली में भी होगा और ऐसे में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ना तय है।
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