प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के मुख्य रणनीतिकार और गृह मंत्री अमित शाह की हरियाणा में प्रचार के आखिरी चरण में गैरहाजिरी बहुत साफ है।
दोनों नेताओं ने बुधवार और गुरुवार को किसी भी रैली को संबोधित नहीं किया। 5 अक्टूबर के मतदान के लिए प्रचार के आखिरी दिन उनका कोई कार्यक्रम नहीं है। मोदी बुधवार को झारखंड में थे तो गुरुवार को दिल्ली में सफाई अभियान में हिस्सा ले रहे थे। छोटे से राज्य हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों के लिए भाजपा की केंद्रीय लीडरशिप इस तरह हथियार डालेगी, तमाम राजनीतिक विश्लेषको उम्मीद नहीं थी।
मोदी ने मंगलवार को पलवल में अपनी चौथी और आखिरी रैली की, जबकि शाह ने 29 सितंबर को राज्य में अपनी आखिरी तीन रैलियां कीं। मोदी और शाह की अनुपस्थिति में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन सहित अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। गडकरी, भाजपा का किला संभाल रहे हैं। यह अलग बात है कि राजनाथ और गडकरी की हरियाणा में कोई पहचान नहीं है।
मोदी ने हरियाणा में इस बार सिर्फ चार रैलियां कीं। यह 2014 के विधानसभा चुनाव में उनके द्वारा संबोधित 10 चुनावी रैलियों और 2019 के विधानसभा चुनाव में सात चुनावी रैलियों के बिल्कुल विपरीत है। मोदी अपने धुआंधार भाषण और ताबड़तोड़ रैलियों के लिये जाने जाते हैं। इसी हरियाणा ने मोदी को 2014 और 2019 में सिर आंखों पर बैठाया था। लेकिन इस बार वो जादुई करिश्मा गायब है। भाजपा को समझ नहीं आ रहा कि आखिरी इन 10 वर्षों में क्या हो गया। भाजपा अभी भी मानने को तैयार नहीं कि हरियाणा में मोदी का पानी उतर गया है।
हैरान-परेशान एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि मोदी और शाह को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाद्रा और मल्लिकार्जुन खड़गे की तरह आखिरी दो दिनों में रैलियां या रोड शो आयोजित करने चाहिए थे। क्योंकि पार्टी राज्य में सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। हवा बनाने के लिए यह जरूरी था। लगभग सभी हाल के संसदीय और राज्य विधानसभा चुनावों में मोदी अंतिम क्षण तक प्रचार मोड में थे।'' भाजपा ने कहा कि चुनाव प्रचार में बड़े नेताओं की मौजूदगी से चुनावी किस्मत पर बहुत फर्क पड़ता है।
हालाँकि, भाजपा के स्टार प्रचारकों ने पिछले कुछ दिनों में राज्य भर में 100 से अधिक बड़ी रैलियाँ आयोजित की हैं। उन्होंने कहा, "अंतिम प्रयास के रूप में, भाजपा ने घर-घर जाकर प्रचार के जरिये राज्य भर में बड़े पैमाने पर पहुंच बनाने का फैसला किया है।" रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को महेंद्रगढ़ में और नितिन गडकरी कलायत (कैथल) में चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
राहुल गांधी अभी भी हरियाणा में
विपक्ष के नेता राहुल गांधी 3 अक्टूबर को नूंह और भावरिया (महेंद्रगढ़) में चुनावी रैलियां कर रहे हैं। हालांकि उनकी तीन दिवसीय विजय संकल्प रैली खत्म हो चुकी है। लेकिन दक्षिण हरियाणा में चुनाव प्रचार की भारी डिमांड पर राहुल आ रहे हैं। पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग जो आमतौर पर भाजपा समर्थक माने जाते हैं, भिवानी जिले में तोशाम विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का प्रचार करते देखे गये। तोशाम सीट से कांग्रेस ने अनिरुद्ध चौधरी को मैदान में उतारा है। वीरेंद्र सहवाग उन्हीं के लिए वोट मांग रहे हैं।
हरियाणा में भाजपा इस तरह सरेंडर करना और कांग्रेस का अंतिम दौर तक चुनाव प्रचार में बने रहना, यहां की राजनीतिक कहानी को बताने के लिए पर्याप्त है। भाजपा नेताओं में निराशा साफ दिख रही है। सभी को 8 अक्टूबर का इंतजार है। नतीजे उसी दिन आने वाले हैं। तमाम चुनाव सर्वे कांग्रेस की स्थिति बहुत बेहतर बता चुके हैं।
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