राष्ट्रपति के चुनावी जंग में अमेरिकियों के बीच दो घटनाएं खासी महत्वपूर्ण हो गई हैं: पहली घटना का संबंध ईरान- इसराइल जंग से है; दूसरी है उपराष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेट मनोनीत टिम वाल्ज और रिपब्लिकन के जे. डी. वैंस के बीच हुई बहस। यह भी इत्तफ़ाक़ है कि बहस के ही रोज़ ईरान ने इसराइल पर मिसाइलों की बरसात कर डाली। ईरान ने पहली दफ़ा यहूदी राष्ट्र इसराइल के ख़िलाफ़ बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया और राजधानी तेल अवीव निशाना बना। बहस के समय तक 200 से अधिक मिसाइलें दागी जा चुकी थीं। ज़ाहिर है, बहस पर इस असली जंग की छाया न पड़े, यह कैसे हो सकता था। बहस का आग़ाज़ ही इसराइल पर ईरान के ताज़ा हमले से हुआ। दोनों परस्पर विरोधी नेताओं ने अपने अपने अंदाज़ में इसराइल की रक्षा की बात की, और ईरान को दोषी ठहराया। यह भी कहना था कि अमेरिका अपने मित्र देश को अकेला नहीं छोड़ेगा। यह सही भी है, अमेरिका ने इसराइल को हमले की अग्रिम चेतावनी दे दी थी और कई मिसाइलों को आकाश में बेअसर भी किया। दोनों नेताओं का यह भी समान स्वर था कि ईरान-इसराइल जंग क्षेत्रीय जंग का रूप ले सकता है। जंग का विस्तार हो सकता है। जंग के नतीज़ों को भुगतने के लिए ईरान को तैयार रहना चाहिए।
क्या ईरान -इसराइल जंग से चुनाव प्रभावित होगा?
- दुनिया
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- रामशरण जोशी
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- 3 Oct, 2024

रामशरण जोशी
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बीच ही ईरान और इसराइल के बीच संघर्ष से मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ गया है। तो क्या अमेरिका चुनाव पर इसका सीधा असर होगा?
यह सभी जानते हैं कि डोनाल्ड ट्रम्प इसराइल के पक्के समर्थक हैं, लेकिन राष्ट्रपति बाइडन का रवैया ढुलमुल रहा है। जबसे मध्य पूर्व में जंग छिड़ी है, तब से अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन इसराइल को हथियार भेजते आ रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही ‘युद्ध विराम’ की गुहार भी लगाते आ रहे हैं। लेकिन, इसराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू गुहार को नज़रअंदाज़ करते हुए नए नए मोर्चे खोलते जा रहे हैं। इसराइली सेनाएं लेबनान पर भी हमला कर रही हैं। ग़ज़ा को भी सबक़ सीखा दिया। अब ईरान के साथ नया मोर्चा खुल सकता है। चेतावनी दी ही जा चुकी है।
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