हरियाणा में भाजपा सरकार से निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद हरियाणा में राजनीतिक रस्साकशी बढ़ गई है। भाजपा की ओर से पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर सक्रिय हैं और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की जगह खट्टर अब सारे मामले को डील कर रहे हैं। खट्टर ने बुधवार को दावा किया कि कई विधायक उनके संपर्क में हैं। हरियाणा में सरकार बनाने और गिराने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त मशहूर रही है। आयाराम-गयाराम जैसा मुहावरा हरियाणा से निकला था। ऐसे में खट्टर के बयान को खारिज नहीं किया जा सकता।
खट्टर ने बुधवार को करनाल में कहा- "राज्य सरकार से समर्थन वापस लेने वाले विधायकों का लोकसभा चुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। चुनावी मौसम में कौन कहां जा रहा है इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। कई विधायक भी हमारे संपर्क में हैं, कई नेता हमारे समर्थन में खड़े हैं और उन्हें (कांग्रेस) अपने नेताओं को सुरक्षित रखना चाहिए। जल्द ही पता चल जाएगा कि कितने लोग हमारे संपर्क में हैं।''
हरियाणा में 7 मई को तीन निर्दलीय विधायकों सोमबीर सांगवान (दादरी), रणधीर सिंह गोलेन (पूंडरी) और धर्मपाल गोंदर (नीलोखेड़ी) ने भाजपा की नायब सिंह सैनी सरकार से समर्थन वापस ले लिया। तीनों अब कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं। हरियाणा में भाजपा सरकार अब निर्दलीयों के भरोसे चल रही है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सरकार को अब भी दो अन्य निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। सरकार चलाने के लिए 45 विधायक चाहिए लेकिन भाजपा सरकार को वर्तमान में 42 का समर्थन प्राप्त है, जिसमें उसकी अपनी संख्या 40 है। 90 सदस्यीय विधानसभा में अभी कुल 88 विधायक हैं। दो सीट खाली है। यानी हरियाणा में भाजपा की सरकार अल्पमत में आ चुकी है।
दुष्यंत का रणनीतिक बयान
जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) नेता दुष्यंत चौटाला ने बुधवार को दिल्ली में कहा कि अगर कांग्रेस हरियाणा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाती है तो जेजेपी उस प्रस्ताव का समर्थन करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में भाजपा सरकार अल्पमत में आ चुकी है। चौटाला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "अगर विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा अविश्वास प्रस्ताव लाते हैं, तो हमारे सभी विधायक भाजपा सरकार के खिलाफ मतदान करेंगे।"
दुष्यंत चौटाला ने कहा- “इसी लोकसभा चुनाव के दौरान ही नेता विपक्ष को यह सरकार गिरा देना चाहिए। हम अपने विधायकों के लिए व्हिप जारी करेंगे, सभी विधायक इससे बंधे हैं। वे पार्टी के फैसले का पालन करेंगे।'' बता दें कि पिछले चुनाव 2019 में जेजेपी के 10 विधायक जीते थे। लेकिन दुष्यंत चौटाला जो 2019 में एक दिन पहले तक भाजपा और मोदी को कोस रहे थे, दिल्ली में अमित शाह से मिले और भाजपा को समर्थन दे दिया। इस तरह जेजेपी की वजह से हरियाणा में भाजपा की खट्टर सरकार बनी थी। लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा से पहले भाजपा ने जेजेपी को बाहर का रास्ता दिखा दिया। जेजेपी से गठबंधन टूटने के बाद हरियाणा सरकार निर्दलीयों के भरोसे पर है। जिसमें तीन बाहर जा चुके हैं। दो और बचे हैं। हालांकि सरकार के पास अब बहुमत नहीं है।
हुड्डा का जवाबः कांग्रेस विधायक दल के नेता और राज्य के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बुधवार को कहा कि जेजेपी भाजपा की बी टीम है। हुड्डा ने कहा कि जेजेपी ने क्यों नहीं फौरन राज्यपाल से मांग की राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए और चुनाव कराया जाए। कांग्रेस की यही मांग है कि भाजपा सरकार अल्पमत में है। राज्य में फौरन राष्ट्रपति शासन लगाकर विधानसभा चुनाव कराए जाने चाहिए। बता दें कि हरियाणा विधानसभा के चुनाव अक्टूबर 2024 में तय हैं।
निर्दलीय विधायक बोले
सरकार से समर्थन लेने वाले तीन निर्दलीय विधायकों में से धर्मपाल गोंदर ने खुलकर वो वजह बताई, जिस वजह से समर्थन वापस लिया गया। गोंदर ने कहा- "नीलोखेड़ी और अन्य जगहों पर चुनाव प्रचार के दौरान हमें आमंत्रित नहीं किया जाता था...इसके बाद जनता ने सवाल करना शुरू कर दिया। हमें क्यों नहीं बुलाया गया? यह हमारे लिए अपमान था। जनता ने हमें अब से समर्थन नहीं देने के लिए कहा... हम कोई मंत्री पद नहीं चाहते थे, हम सिर्फ राज्य के लोगों के लिए काम करना चाहते थे हम कांग्रेस को बाहर से समर्थन दे रहे हैं...।" यानी गोंदर यह कहना चाहते हैं कि जिस वादे के साथ भाजपा ने उनका समर्थन लिया था, वो वादे पूरे नहीं किए और वो एक तरह से डमी बनकर रह गए थे।
अनिल विज का बयान
मंत्री पद से हटाए जा चुके वरिष्ठ भाजपा नेता अनिल विज ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया है। हालांकि वो भाजपा और इस सरकार पर तंज कस रहे हैं या गंभीर बयान दे रहे हैं, यह समझना मुश्किल है। अनिल विज ने बुधवार को कहा- "हम 3 निर्दलीय विधायकों के कांग्रेस को समर्थन देने से दुखी हैं... लेकिन, हमारे पास ट्रिपल इंजन वाली सरकार है। तीन इंजन (नेता) इसकी देखभाल कर रहे हैं। सीएम नायब सिंह सैनी, पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और पीएम नरेंद्र मोदी... लोगों ने अपना मन बना लिया है... वे पीएम नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। तीसरी बार...इंडिया गठबंधन बिना इंजन की गाड़ी है, ऐसे ही खड़ी रहेगी...।'' अनिल विज इससे पहले खुद को सरकार और पार्टी में 'बेगाना' बता चुके हैं।
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