वर्तमान आम-चुनाव के परिणाम को लेकर हम विश्लेषकों को सत्ताधारी दल- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)- का मर्सिया पढ़ने का फिलहाल कोई कारण नहीं है। जैसे फ़िल्म में हीरो ने कहा था “मेरे पास मां है”, भाजपा भी कह सकती है “मेरे पास मोदी है, गवर्नेंस का “मोदी-मॉडल” है। “अगली सरकार किसकी” के मिलियन डॉलर प्रश्न का जवाब इसी परिप्रेक्ष्य में देखना होगा।
चुनाव में सीटें घटीं तो मोदी कहाँ होंगे?
- विचार
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- 8 May, 2024

मोदी मॉडल शेर की सवारी है। जनमत के सैलाब में इस शेर पर बैठ तो सकते हैं पर उतरने पर शेर द्वारा हजम किये जाने का डर होता है। इसलिए सत्ता सर्वाइवल की पूर्व-शर्त बन जाती है।
लेकिन भाजपा के पास इतना सब होने के बाद भी शायद सत्ता में फिर आना इतना आसान नहीं होगा। इस चुनाव में मतदान प्रतिशत का लगातार कम होना, वह भी उत्तर भारत के भाजपा-शासित राज्यों में और खासकर गुजरात जैसे राज्य में कम होना कुछ गहरा संकेत देता है। पिछले चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर जिन तीन वोटरों ने मत डाले उनमें से केवल एक ने भाजपा के मोदी को दिया, बाकी दो ने अन्य दलों को दिया। गुजरात में तो हर तीन में दो वोटर्स ने मोदी को वोट दिया। इसका सीधा मतलब यह है कि इन दो वोटरों ने यह जानते हुए भी कि मोदी की सत्ता फिर आयेगी, अपना मत मोदी के खिलाफ दिया। फिर आज कोई कारण नहीं कि वो मतदान करने नहीं जायेंगे और मोदी के खिलाफ वोट नहीं करेंगे। लिहाजा लो-टर्नआउट वोटर्स में मोदी के प्रति उदासीनता दिखती है, वोटर्स की नाराज़गी के संकेत मिलते हैं। वैसे भी उत्तर भारत के इन राज्यों में भाजपा को शत-प्रतिशत या अधिकतम सीटें मिली थीं लिहाज़ा उससे बढ़ने का कोई सवाल भी नहीं उठाता।