हरियाणा में चरखी दादरी के बाढड़ा कस्बे में 27 अगस्त को साबिर मलिक को उग्र भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला। भीड़ ने उन पर गोमांस खाने का झूठा आरोप लगाया था। कोलकाता निवासी पिछले पांच वर्षों से कूड़ा बीनने वाला मलिक अपनी पत्नी, अपनी ढाई साल की लड़की और अपने माता-पिता के साथ दक्षिणी हरियाणा के चरखी दादरी जिले में एक झोपड़ी में रह रहा था। पुलिस ने साबिर के घर से पका हुआ मांस बरामद किया और उसे फरीदाबाद की सरकारी लैब में जांच के लिए भेज दिया।
फरीदाबाद की लैब ने हरियाणा सरकार को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बरामद मांस गोमांस नहीं है। हालांकि साबिर के परिवार ने पुलिस को पहले ही बता दिया था कि उन्होंने भैंस का मांस यानी बड़े का मीट पकाया था। लेकिन उस समय न तो हिन्दुओं की हमलावर भीड़ और न ही पुलिस यह बात मानने को तैयार थी। सस्ता होने के कारण भैंस का मांस बड़े पैमाने पर मुस्लिम परिवार खाते हैं। लेकिन इसको बीफ बता कर इसकी आड़ में लोगों की हत्याएं की जा रही हैं। भैंस के मांस के कारोबार में भारत नंबर 1 पर है और यहां से बड़े पैमाने पर बूचड़खानों से यह मांस विदेश में सप्लाई होता है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने भैंस का मांस काटने, बेचने पर कोई पाबंदी नहीं लगा रखी है। हरियाणा में गोमांस पर पाबंदी है।
साबिर के घर से बरामद मांस की तीन बार जांच हुई। सबसे पहले पशु चिकित्सक की सलाह पर इसे फरीदाबाद की लैब में भेजा गया था। उसके बाद सुनारिया में सरकारी लैब में इसकी फिर से जांच हुई। तीसरी बार इस वापस फरीदाबाद की सरकारी लैब में भेजा गया। सभी जगहों से यही रिपोर्ट आती रही कि यह गोमांस नहीं है। फरीदाबाद की सरकारी लैब से तीसरी रिपोर्ट मिलने के बाद इसे अब पुलिस ने अदालत में जमा करा दिया है।
चरखी दादरी पुलिस ने साबिर की हत्या के आरोप में अभिषेक, रविंदर, मोहित, कमलजीत और साहिल को गिरफ्तार किया था। अब गोमांस नहीं पाये जाने पर इस केस की स्थिति अब पूरी तरह बदल गई है।
अन्य प्रवासी परिवारों की तरह कोलकाता से आया साबिर मलिक का परिवार भी काम की तलाश में आया और बाढ़डा में के गांव में बस गया। ये लोग बांस की छड़ियों और प्लास्टिक की चादरों से बनी झोपड़ियों में रहते थे, और कचरा बीनने वालों के रूप में प्रति दिन 500 रुपये कमाते थे। साबिर मलिक की हत्या के बाद, परिवार पश्चिम बंगाल में अपने गाँव लौट गया। साबिर की पत्नी सकीना मलिक ने कहा- “हम वहां बेहतर जिंदगी के लिए गए थे, लेकिन उस जगह ने मेरे पति को छीन लिया। मुझे अपनी बेटी के लिए डर लग रहा था।'' पश्चिम बंगाल सरकार ने सकीना को नौकरी दे दी है। दरअसल, ममता बनर्जी ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया था। इसीलिए पुलिस ने पहले ही जांच के दौरान आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था।
भीड़ ने धोखे से साबिक मलिक की हत्या की। सबसे पहले पुलिस को बताया गया कि कुछ बांग्लादेशी लोग झुग्गियों में रहते हैं और गोमांस पकाकर खाते हैं। पुलिस ने परिवार के लोगों को पूछताछ के लिए पुलिस चौकी बुलाया। उधर "कुछ लोग" साबिर मलिक की झुग्गी में गए और उनसे कहा कि उन्हें कुछ स्क्रैप बेचना है और उन्हें बस स्टैंड पर आने के लिए कहा, जहां उन्होंने उनकी हत्या कर दी।
पश्चिम बंगाल के मुस्लिमों को बांग्लादेशी बताकर मारने-पीटने की घटनाये आम होती जा रही हैं। साबिर के भाई सरदार मलिक ने मीडिया से कहा कि "सिर्फ इसलिए कि हम बंगाल से हैं, हमें बांग्लादेशी करार देना आसान है। क्योंकि हम भी बंगाली ही बोलते हैं। हम वहां काम के सिलसिले में गए थे। यदि आप बंगाल आएं और हम आपके साथ एक बाहरी व्यक्ति जैसा व्यवहार करें तो आपको कैसा लगेगा?”
फरीदाबाद में छात्र आर्यन मिश्रा की हत्या गोतस्कर समझकर की गई थी। वो कार जिसमें आर्यन था। फाइल फोटो।
हरियाणा में गोरक्षकों का नेटवर्क, जो गोमांस ले जाने या खाने के संदेह में मुसलमानों पर हमला करते हैं, 2014 में केंद्र में भाजपा के सत्ता में आने के बाद अस्तित्व में आया। वे दस वर्षों में और अधिक सक्रिय हो गए हैं। हाल ही में एक हिन्दू युवक की फरीदाबाद में कथित गोरक्षकों ने गोरक्षक समझकर गोली मार दी थी। हालांकि 12 वीं का छात्र आर्यन मिश्रा अपने दोस्त और उसकी मां के साथ कार में था। लेकिन गोरक्षकों ने उन्हें गोतस्कर समझा। फरीदाबाद, गुड़गांव, मेवात में कथित गोरक्षक रात को इसी तरह घूमते हैं और वाहनों को चेक करते हैं। इन पर पशु पालकों से वसूली आदि का आरोप भी है। खासकर उन पशु पालकों से जो एक शहर से दूसरे शहर गाय, भैंस, बकरी खरीद कर ले जाते हैं। आर्यन मिश्रा की हत्या में पुलिस ने बाद में जांच करते हुए सरगना अनिल कौशिक और उसके गोरक्षक गैंग को पकड़ा था। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पकड़े जाने के बाद अनिल कौशिक ने कहा था कि उन लोगों से गलती हो गई है।
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