लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद हरियाणा में भाजपा के लगभग दस साल के शासनकाल के प्रति आमजन के साथ-साथ भाजपा के कार्यकर्ताओं में भी एक निराशा, हताशा और नाराजगी स्पष्ट दिखाई देने लगी थी। अलग-अलग सामाजिक वर्ग अपनी अपेक्षाओं के पूरा न हो पाने से भाजपा की नीतियों के प्रति अपना विश्वास खो रहे थे और सरकार की आलोचना करने में भी मुखर होने लगे थे। विधानसभा चुनावों में भाजपा के पास अपनी उपलब्धियां बताने के लिए कुछ विशेष थी नहीं। प्रदेश के मुद्दे भाजपा के सामने मुंह बाये खड़े थे। किसानों से लेकर कर्मचारी तक, बेरोजगार युवाओं से लेकर महिला, गृहणियों तक, हर वर्ग सरकार की कार्यप्रणाली से क्षुब्ध था।