समाजिक व्यवस्था में लम्बे समय से दलित वंचित वर्ग मानवीय सम्मान के लिए संघर्षरत रहा है। भारतीय समाजिक व्यवस्था में दलित वंचित वर्ग लोगों का वो समूह रहा है जिसे बहिष्कार शोषण हिंसा से गुजरना पड़ा है। उन्हें जीवन की मूल आवश्कताओं जैसे शिक्षा स्वास्थ्य पूर्ण भोजन यात्रा के अधिकार व समान्य संसाधनों से वंचित रहना पड़ा।  समजिक संरचना में समाजिक स्तरीकरण के पदक्रम में शक्ति और स्थिति के संदर्भ में वर्गों के विभाजन में सबसे  निचले स्तर पर ये समूह विधमान हैं। उपहार विनिमय और पारस्परिकता जैसी सार्वभौमिक प्रक्रियाओं के समान्य हिस्सा बनाने से भी अक्सर यह समूह वंचित श्रेणी में रहा। उच्च वर्गों के समाजिक व्यवहार के मानदंडों के सख्त पालन के महत्व के कारण भी इन समूहों को एक अलगाव को सहने के लिए विवश होना पड़ा।