हरियाणा में चुनाव जीतने के लिए बीजेपी क्या जेल की सलाखों में क़ैद गुरमीत राम रहीम का भी समर्थन लेने को तैयार है। इस सवाल का जवाब है हाँ और यह हाँ और किसी ने नहीं प्रदेश की सर्वोच्च कुर्सी पर बैठे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने की है। बता दें कि गुरमीत राम रहीम अपने ही आश्रम की साध्वियों से दुष्कर्म के मामले में अगस्त 2017 से रोहतक की सुनारिया जेल में उम्रक़ैद की सजा काट रहा है। इसके अलावा पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या में भी वह सजा भोग रहा है।
ताज़ा ख़बरें
पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा, ‘वोट माँगना हमारा अधिकार है। हमारा समाज कई तरह की मान्यताओं और विश्वास से प्रभावित होता है। यहाँ (हरियाणा में) कई तरह के डेरे हैं और हमारी पार्टी के नेता सभी डेरों से संपर्क करेंगे। इन डेरों में डेरा सच्चा सौदा भी शामिल है। हमें उम्मीद है कि हमें उनका भी समर्थन मिलेगा।’
बता दें कि गुरमीत राम रहीम को पैरोल देने की पैरवी के लिए खट्टर के अलावा हरियाणा सरकार के दो और मंत्री - जेल मंत्री कृष्ण पवार और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज खुलकर सामने आए हैं। खट्टर कह चुके हैं कि अगर कोई व्यक्ति पैरोल का हक़दार है तो वह इसे माँग सकता है। उनके मुताबिक़ फिलहाल इस मसले पर कोई फ़ैसला नहीं लिया गया है।
गुरमीत राम रहीम ने कृषि संबंधी कार्य के लिए पैराेल माँगी है, लेकिन माना जा रहा है कि वह इस बहाने डेरा सच्चा सौदा को फिर से खड़ा करना चाहता है। उसके बाहर आने से क़ानून-व्यवस्था के लिए चुनौती पैदा हो सकती है।
रामचंद्र ने किया था ख़ुलासा
पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के ज़रिए ही साध्वी यौन शोषण का मामला सामने आया था। इस मामले में छत्रपति ने डेरा से जुड़ी कई ख़बरें अपने अख़बार में प्रकाशित की थीं। छत्रपति पर काफ़ी दबाव बनाया गया। लेकिन जब वह धमकियों के आगे नहीं झुके तो 24 अक्टूबर 2002 को उन पर हमला कर दिया गया था। 21 नवंबर 2002 को उनकी मौत हो गई थी। सीबीआई ने मामले में 2007 में चार्जशीट दाख़िल कर दी थी। इस मामले में 16 साल बाद फ़ैसला आया था।साध्वी यौन शोषण मामले में जब राम रहीम को दोषी क़रार दिया गया था तो पंचकूला समेत कई जगहों पर दंगे, आगजनी और तोड़फोड़ हुई थी। डेरा के समर्थकों ने 100 से ज़्यादा गाड़ियों में आग लगा दी थी। उपद्रवियों ने मीडिया की गाड़ियों पर भी हमला किया था। उस दौरान स्थिति को न संभाल पाने के लिए खट्टर सरकार की ख़ासी आलोचना हुई थी। इस बवाल में 42 लोगों की मौत हो गई थी।
हालाँकि मुख्यमंत्री खट्टर का कहना है कि उस समय राज्य सरकार ने उपद्रवियों के ख़िलाफ़ सख़्त एक्शन लिया था, वरना, हालात और ख़राब हो सकते थे। खट्टर पूर्व की भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस सरकार के नेतृत्व में डेरों को संरक्षण दिया गया। खट्टर कहते हैं कि अगर कांग्रेस सरकार ने सतलोक आश्रम के मामले को ठीक से संभाला होता तो बरवाला कांड नहीं हुआ होता।
ग़ौरतलब है कि हरियाणा में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी राज्य की सत्ता में वापसी के लिए जोर-शोर से तैयारियों में जुटी हुई है।
गुरमीत राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय हरियाणा के ही सिरसा में है और बताया जाता है कि हरियाणा में ही उसके 20 लाख से ज़्यादा फ़ॉलोवर्स हैं। खट्टर सरकार गुरमीत राम रहीम को पैरोल देने का समर्थन कर इसका राजनीतिक फायदा लेना चाहती है। मुख्यमंत्री और सरकार के दो मंत्री जिसकी पैरोल का समर्थन करें तो समझ लेना चाहिए कि बाबा कितना ताक़तवर है।
हरियाणा से और ख़बरें
बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भी डेरा सच्चा सौदा ने बीजेपी का समर्थन किया था। इसके बाद 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी डेरे की ओर से बीजेपी का समर्थन किया गया था और माना जाता है कि बीजेपी को इसका फायदा मिला था। अब एक बार फिर बीजेपी सत्ता में वापसी के लिए डेरे के समर्थकों का वोट हासिल करने की तैयारी में है।
अपनी राय बतायें