जम्मू-कश्मीर की राजनीति में तूफान खड़ा करने वाले कठुआ रेप केस की इन दिनों एक बार फिर चर्चा है। इस मामले की सुनवाई पठानकोट में डॉ. तेज़विंदर सिंह की अदालत में चल रही है। लेकिन क्या इसे महज संयोग ही मानें कि जज तेज़विंदर सिंह की पत्नी कमलदीप भंडारी को हरियाणा की खट्टर सरकार ने सूचना आयुक्त बनाया है।
कमलदीप भंडारी को हरियाणा सरकार ने यह पद कई लोगों के दावों को नज़रअंदाज करके दिया और ये सभी अपने क्षेत्रों में नामी-गिरामी हस्तियाँ हैं।
हालाँकि इस मामले पर क़वायद पिछले एक साल से चल रही थी और इसके लिये बाक़ायदा सरकार के पास 229 आवेदन आये थे। जिनमें रिटायर व मौजूदा भारतीय प्रशासनिक अधिकारियों ने भी आवेदन किया था। लेकिन इस मामले में आचार संहिता लागू होने से दो दिन पहले कमलदीप भंडारी को नियुक्त कर दिया गया।
कमलदीप भंडारी के साथ लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह, सेवानिवृत्त सी वेस्टर्न कमांड और पूर्व कांग्रेसी जय सिंह बिश्नोई, जो सितंबर 2018 में बीजेपी में शामिल हुए थे, को भी सूचना आयुक्त बनाया गया है।
जून 2018 और अगस्त 2018 में इन पदों को भरने के लिये विज्ञापन भी दिया गया था। बताया जा रहा है कि इन नियुक्तियों को हरी झंडी देने के लिये तीन सदस्यों का पैनल बनाया गया। जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर सिंह और नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला शामिल थे। इस पैनल ने प्रदेश के मुख्य सचिव के निर्देशन में बनी एक खोज कमेटी की ओर से सुझाये गये नौ नामों पर विचार किया।
पैनल के पास आईएएस अधिकारी और हरियाणा के पूर्व एडिशनल चीफ़ सेक्रेटरी पी.के महापात्रा, हरियाणा के रिटायर डीजीपी सुधीर चौधरी, रिटायर आईपीएस अधिकारी और पूर्व डायरेक्टर जनरल आईटीबीपी आर. के पंचनंदा, कार्यरत अधिकारी अनिल कुमार, पूर्व न्यायिक अधिकारी कुलदीप जैन और शिक्षाविद व हिसार स्थित गुरु जंबेश्वर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. अनिल कुमार पुंडीर के नाम भेजे गये। लेकिन पैनल ने पठानकोट में ज़िला जज डॉ. तेज़विंदर सिंह, जो कि कठुआ रेप केस की सुनवाई कर रहे हैं, की पत्नी कमलदीप भंडारी के चयन को हरी झंडी दी।
जम्मू-कश्मीर की राजनीति व देश भर को हिला देने वाले कठुआ रेप केस को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू से पंजाब के पठानकोट में स्थानांतरित कर दिया था। बीते साल जनवरी में जम्मू के बकरवाल समुदाय की नौ साल की मुसलिम लड़की से रेप के बाद हत्या कर उसका शव फेंक दिया गया था। इस मामले ने जम्मू-कश्मीर में तूफान खड़ा कर दिया था।
बीजेपी नेताओं ने मामले के अभियुक्तों का समर्थन किया था और जाँच को ‘कश्मीर आधारित’ बता कर उस पर सवाल खड़े किए थे। यह मामला बीजेपी और पीडीपी के बीच विवाद का विषय भी बना जिसके बाद पिछले जून में बीजेपी ने महबूबा मुफ़्ती सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था।
पंजाब में राइट टू सर्विस कमीशन की सदस्य रह चुकीं कमलदीप भंडारी पंजाब की जानी-मानी अदाकारा हैं और उन्हें सुनहरे पर्दे पर गुलछु जॉली के नाम से जाना जाता है।
एक दशक के लंबे करियर में भंडारी ने ‘शरीक’, ‘जट’, ‘जुलियट-1’ आदि फ़िल्मों में भी काम किया है। हालाँकि, भंडारी किसी संवैधानिक पद पर बैठने के लिए नयी नहीं हैं। उन्हें 2016 में शिरोमणि अकाली दल व बीजेपी की पिछली सरकार में राइट टू सर्विस कमीशन का सदस्य बनाया गया था। उन्हें और 6 अन्य लोगों को सितंबर 2016 में 5 साल के लिए शपथ दिलाई गयी थी। लेकिन 2017 में जब कांग्रेस सत्ता में आई थी तब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कमीशन को भंग कर सदस्यों की सेवाएँ समाप्त कर दी थीं।
भंडारी ने अंग्रेजी में मास्टर की डिग्री हासिल करने के अलावा बीएड भी किया है। वे एलएलबी और एलएलएम भी हैं। उनके नाम का सुझाव देने वाली सर्च कमेटी के एक सदस्य ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, ‘वह सामाजिक कार्यों से भी जुड़ी रही हैं और उन्होंने समाज के वंचित तबक़ों के लिए काफ़ी काम किया है। उन्होंने क़ानून और अंग्रेजी पढ़ाते हुए एजुकेशनल कंसलटेंट के रूप में भी काम किया है।
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