किसानों के जितने जबरदस्त विरोध का सामना हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को करना पड़ रहा है, इतना किसी और नेता को नहीं। हालात ऐसे हैं कि दुष्यंत हिसार के एयरपोर्ट पर उतरकर गाड़ी से अपने घर नहीं जा सकते क्योंकि पता नहीं कि स्थानीय किसान कब, कहां उनका घेराव कर दें।
26 मई को जब किसानों ने उनके आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर काला दिन मनाया था तो हिसार के सिरसा में भी दुष्यंत चौटाला के घर कूच का आह्वान किया था। लेकिन पुलिस के जबरदस्त विरोध के बाद किसान उनके घर तक नहीं पहुंच सके थे।
अब हिसार पुलिस ने प्रदर्शन में शामिल 150 किसानों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर लिया है। किसानों ने पुलिस के लगाए बैरिकेड्स उखाड़ दिए थे और उसके बाद दोनों पक्षों में संघर्ष हुआ था।
जारी रहेगा विरोध
किसान नेताओं का कहना है कि पुलिस-प्रशासन चाहे जितने मुक़दमे दर्ज कर ले लेकिन जब तक ये तीनों कृषि क़ानून रद्द नहीं हो जाते, बीजेपी और जेजेपी के नेताओं का विरोध जारी रहेगा। किसान नेताओं का कहना है कि 26 मई का उनका सिरसा वाला प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और वे दुष्यंत चौटाला के घर के पास पुतला जलाना चाहते थे लेकिन पुलिस ने रास्ते में बैरिकेड्स लगा दिए थे और आगे बढ़ने के लिए ही किसानों ने बैरिकेड्स को हटाया था।
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जबकि हिसार के संभागीय आयुक्त चंदर शेखर का कहना है कि किसान नेताओं ने कहा था कि वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे लेकिन बावजूद इसके ग़ैर-क़ानूनी ढंग से बैरिकेड्स हटा दिए और चौटाला के घर से 200 मीटर दूरी पर पुतला भी जलाया। उन्होंने कहा कि लेकिन इसके बाद भी पुलिस-प्रशासन ने बहुत समझदारी से काम लिया और हालात को ख़राब नहीं होने दिया।
हाल ही में जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को हिसार में एक कार्यक्रम आना था तब भी किसानों और पुलिस के बीच जबरदस्त भिड़ंत हुई थी। कई गांवों में इस तरह के पोस्टर लग चुके हैं कि उनके वहां बीजेपी-जेजेपी के नेताओं का आना मना है।
बीजेपी और जेजेपी के लिए किसान आंदोलन सिरदर्द बन गया है। हालांकि अभी राज्य में विधानसभा चुनाव काफी दूर हैं लेकिन जिस तरह बीजेपी और जेजेपी के नेताओं का गांवों में विरोध हो रहा है, सरकार के साथ ही पार्टी संगठन के लोगों के लिए भी इससे निपटना मुश्किल हो गया है।
निशाने पर हैं दुष्यंत
ख़ासकर, दुष्यंत चौटाला इस आंदोलन के शुरू होने के बाद से ही किसानों और युवाओं के निशाने पर हैं। किसानों और युवाओं का कहना है कि दुष्यंत ने बीजेपी के विरोध और किसानों की हिमायत करने के वादे के कारण पहले ही चुनाव में बड़ी सफ़लता हासिल की थी। लेकिन अब वह कुर्सी मोह के कारण किसानों का साथ नहीं देना चाहते।
कई नेताओं का इस्तीफ़ा
दोनों दलों के कई नेता इस्तीफ़ा दे चुके हैं। इनमें हरियाणा बीजेपी के बड़े नेता रामपाल माजरा, बलवान सिंह दौलतपुरिया सहित कई लोग शामिल हैं। इसके अलावा दादरी से निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान ने हरियाणा पशुधन विकास बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और करनाल जिले के जेजेपी अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह गौराया ने भी पार्टी छोड़ दी थी।
ग़लती कर गए दुष्यंत?
सियासत में नए-नए उतरे दुष्यंत बहुत कम उम्र में सांसद, विधायक से लेकर उप मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए लेकिन लगता है कि किसानों के मामले में वे ग़लती कर गए हैं। क्योंकि हरियाणा में किसानों, युवाओं के समर्थन के बिना राजनीति करना असंभव है और उसमें भी गांवों के इलाक़ों में।
चौधरी देवीलाल की राजनीतिक विरासत होने का दावा करने वाले दुष्यंत अगर किसानों के साथ शामिल हो जाते तो शायद हालात दूसरे होते लेकिन देखना होगा कि उनका यह फ़ैसला उनके लिए बेहतर साबित होता है या ख़राब। उनके चाचा अभय चौटाला किसानों के समर्थन में विधानसभा से इस्तीफ़ा देकर उन पर सियासी दबाव बढ़ा चुके हैं।
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