डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को 21 दिन की फरलो मिली है। इसका सीधा मतलब यह है कि वह 21 दिन तक जेल से बाहर रहेगा। हरियाणा सरकार के जेल प्रशासन ने यह फरलो सात फरवरी से 21 फ़रवरी तक मंजूर की है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। गुरमीत राम रहीम के जेल से बाहर आने की ख़बर तब आई है जब कुछ ही दिनों में पंजाब में चुनाव होने हैं।
रेप और हत्या के मामले में सज़ा सुनाए जाने के बाद गुरमीत राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। मेडिकल जांच कराने और अपनी मां से मिलने समेत विभिन्न आधारों पर वह पहले भी तीन बार जेल से बाहर आ चुका है।
सवाल उठाए जा रहे हैं कि उसके जेल से निकलने का क्या पंजाब और यूपी चुनाव से कुछ संबंध है? हरियाणा के साथ ही पंजाब में भी बड़ी संख्या में उसके अनुयायी हैं। पंजाब के मालवा क्षेत्र में बड़ी संख्या में उसके अनुयायी हैं जहाँ क़रीब 69 सीटें हैं। चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश में भी डेरा के अनुयायी हैं।
आज पार्टी के एक कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री एमएल खट्टर ने कहा कि फरलो का किसी भी चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने भी कहा कि डेरा प्रमुख को स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार फरलो दी गई।
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम 2002 में अपने प्रबंधक की हत्या और एक पत्रकार की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। इसके साथ ही वह बलात्कार के लिए 20 साल की सजा काट रहा है।
पिछले साल अक्टूबर में ही रंजीत सिंह हत्या के मामले में गुरमीत राम रहीम को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई है। रंजीत सिंह डेरा की 10 सदस्यों वाली कमेटी का अहम सदस्य थे। 10 जुलाई, 2002 को रंजीत सिंह की चार बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक़, राम रहीम को ऐसा लगता था कि उसके ख़िलाफ़ जारी किया गया वो पत्र, जिसमें साध्वियों से दुष्कर्म की बात लिखी थी, इसे जारी करने में रंजीत सिंह का हाथ था।
गुरमीत राम रहीम सिंह अपने आश्रम की दो साध्वियों के साथ दुष्कर्म के मामले में जेल की सजा काट रहा है। उसे पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में भी उम्रक़ैद की सजा सुनाई जा चुकी है। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के ज़रिए ही साध्वी यौन शोषण का मामला सामने आया था। इस मामले में छत्रपति ने डेरा से जुड़ी कई ख़बरें अपने अख़बार में प्रकाशित की थीं। मामले में छत्रपति पर पहले काफ़ी दबाव बनाया गया। लेकिन जब वह धमकियों के आगे नहीं झुके तो 24 अक्टूबर 2002 को उन पर हमला कर दिया गया था। 21 नवंबर 2002 को उनकी मौत हो गई थी। सीबीआई ने 2007 में इस मामले में चार्जशीट दाख़िल की थी।
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