गुजरात सरकार ने उत्तराखंड की तर्ज पर गुजरात में समान आचार संहिता (कॉमन सिविल कोड या यूसीसी) लागू करने के लिए एक समिति बनाने की घोषणा कर दी। इस संबंध में कैबिनेट मीटिंग में गुजरात सरकार ने प्रस्ताव पारित कर दिया है। गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सीएम भूपेंद्र पटेल ने आज शनिवार को कैबिनेट बैठक में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है - राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए एक समिति बनाने का। यह समिति उत्तराखंड की तर्ज पर बनाई गई है।
बीजेपी ने पिछले लोकसभा चुनाव 2019 के घोषणा पत्र में कॉमन सिविल कोड लाने का वादा किया था। राम मंदिर, कश्मीर से धारा 370 का खात्मा और तीन तलाक जैसे मुद्दे भी उसके चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा रहे हैं। इसमें से तीन मुद्दों पर उसने पहले ही काफी कुछ कर दिया है। कॉमन सिविल कोड के मुद्दे को धीरे-धीरे आगे बढ़ाया जा रहा है। बीजेपी शासित राज्यों में इसकी घोषणाएं चुनाव के आसपास कराई जा रही हैं। उत्तराखंड के बाद अब गुजरात ने पहल की है। बाकी बीजेपी शासित राज्य भी इच्छा जता चुके हैं।
उत्तराखंड की स्थिति
विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में यूसीसी लागू करने की घोषणा की गई थी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक समिति बनाई और इससे छह महीने के भीतर रिपोर्ट मांगी। इस समिति ने 8 सितंबर को एक वेबसाइट लॉन्च कर जनता से इस पर सुझाव मांगे। समिति को अभी तक करीब साढ़े तीन लाख से ज्यादा सुझाव मिल चुके हैं। ईमेल से उसे 22 हजार सुझाव मिल चुके हैं। समिति ने कई धार्मिक संगठनों से संपर्क साधा है। उत्तराखंड की कमेटी के पास अभी चार महीने और हैं। समझा जाता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस बारे में ठोस तस्वीर आ सकेगी।
उत्तर प्रदेश की स्थिति
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का इस संबंध में अप्रैल में बयान आया था कि राज्य सरकार समान नागरिक संहिता लाने पर विचार कर रही है। लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई ठोस पहले सरकार की ओर से नहीं हुई है। समझा जाता है कि यूपी को उत्तराखंड वाली कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है। उसी रिपोर्ट के आधार पर यूपी भी अपना फैसला होगा।इसी तरह बीजेपी शासित हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश ने भी समान नागरिक संहिता लागू करने पर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर दिया है। हिमाचल प्रदेश के सीएम ने उत्तराखंड में घोषणा होने पर इसका स्वागत करते हुए कहा था कि हम भी अपने यहां लागू करेंगे। इसी तरह की कवायद मध्य प्रदेश में भी चल रही है। यूपी सहित इन राज्यों को भी उत्तराखंड की समिति की रिपोर्ट का इंतजार है। दरअसल, उत्तराखंड में बनी समिति का चेयरमैन जिन्हें बनाया गया है वो गुजरात हाईकोर्ट में जज रह चुकी हैं। इसलिए इस समिति को अन्य बीजेपी शासित राज्य भी महत्व दे रहे हैं।
मुसलमान क्या सोचते हैं
क्या कहना है केंद्र का
केंद्र सरकार ने बहुत पहले सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर देश में एक समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग करते हुए कहा था कि विभिन्न धर्म अलग-अलग नियमों का पालन नहीं कर सकते हैं। कानून बनाने की शक्ति विधायिका के पास है। केंद्र के अनुसार, धर्मनिरपेक्ष कानून सभी धर्मों पर लागू होना चाहिए और यह सभी धर्मों में विरासत, विवाह और तलाक कानूनों पर लागू होगा।
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