प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को गुजरात के मोरबी पहुँचे। उन्होंने मोरबी में पुल हादसे की जगह का दौरा किया। प्रधानमंत्री को खोज और बचाव कार्यों के बारे में जानकारी दी गई। मोरबी का यह पुल रविवार को टूट गया था इसमें 130 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई है। हादसे में बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। मोरबी सिविल अस्पताल में भर्ती लोगों से प्रधानमंत्री मिलने पहुँचे।
प्रधानमंत्री मोदी के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी थे। इससे पहले दिन में पटेल ने कहा था, 'हम इस कठिन समय में हमारे साथ रहने और गुजरात को इस दुख से बाहर निकालने के लिए मार्गदर्शन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आभारी हैं।'
पीएम श्री @narendramodi ने मोरबी, गुजरात में हुए हादसे में बचाव व राहत कार्य में जुटे बचाव दलों एवं सामाजिक संस्थाओं के लोगों से बातचीत की। pic.twitter.com/nXtt7ECUL3
— BJP (@BJP4India) November 1, 2022
प्रधानमंत्री ने मोरबी में केबल ब्रिज गिरने के बाद बचाव और राहत कार्य कर रहे लोगों से भी मुलाक़ात की। पुल ढहने के घटना स्थल का दौरा करने और मोरबी सिविल अस्पताल में घायलों से मिलने के बाद प्रधानमंत्री मोदी मोरबी में एसपी कार्यालय पहुंचे।
जिस अस्पताल में घायलों से मिलने प्रधानमंत्री आज पहुँचे वह अस्पताल कल रात से ही सुर्खियों में है। प्रधानमंत्री के दौरे को देखते हुए सोमवार रात को अस्पताल का रंग रोगन शुरू किया गया। टाइल्स लगाई गई। रात भर अस्पताल में नवीनीकरण का काम चला।
पीएम मोदी के आने से पहले मोरबी के सिविल अस्पताल की रातभर सफेदी की गई। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री की अच्छी तस्वीरों के लिए सभी इंतजाम किए गए।
मोरबी के दौरे से पहले उन्होंने सोमवार रात गांधी नगर में उच्च स्तरीय बैठक की थी। उस बैठक में मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल, गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी, गुजरात के मुख्य सचिव और डीजीपी सहित राज्य के गृह विभाग और गुजरात एनडीआरएफ के आला अधिकारी मौजूद थे।
बता दें कि मोरबी में ब्रिटिश काल का पुल मार्च से नवीनीकरण के लिए बंद था। 26 अक्टूबर को ही इसे खोला गया था। लेकिन जनता के लिए फिर से खुलने के ठीक चार दिन बाद रविवार शाम को यह टूट गया। अधिकारियों के मुताबिक मरने वालों में कम से कम 47 बच्चे, कई महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं। दस्तावेजों से पता चलता है कि पुल को समय से पांच महीने पहले जनता के लिए खोल दिया गया था। पुल का नवीनीकरण करने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप ने पुल खोलने से पहले नागरिक अधिकारियों से फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं लिया। कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इसकी पुष्टि मोरबी नगरपालिका एजेंसी के प्रमुख संदीपसिंह झाला ने की है।
कंपनी रखरखाव और मरम्मत के लिए पुल को कम से कम आठ से 12 महीने तक बंद रखने के अपने अनुबंध से बाध्य थी। पुलिस ने एक प्राथमिकी में कहा कि पिछले हफ्ते पुल को खोलना गंभीर रूप से गैर जिम्मेदार और लापरवाह संकेत था।
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