गुजरात में मोरबी पुलिस ने शुक्रवार को हैंगिंग पुल हादसे के मामले में आरोप पत्र दायर किया है। हादसे के क़रीब तीन महीने बाद दायर इस चार्जशीट में ओरेवा समूह के अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल को नामजद आरोपी बनाया गया है। वह गैर इरादतन हत्या के 10 आरोपियों में से एक हैं।
1,262 पन्नों की चार्जशीट में उन्हें मुख्य आरोपी और फरार के रूप में नामित किया गया है। ओरेवा ग्रुप के प्रमोटर और अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल अक्टूबर में हुई घटना के बाद से लापता हैं। पिछले हफ्ते उनकी गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया गया था।
गुजरात के मोरबी में पुल हादसे के क़रीब तीन महीने बाद पुल की मरम्मत करने के लिए ज़िम्मेदार कंपनी के प्रमुख पर ऐसी कार्रवाई की गई थी। पुल हादसे में 130 से ज़्यादा लोग मारे गए थे। पुल की मरम्मत के चार दिन बाद ही हादसा हो गया था। हादसे के लिए मरम्मत करने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप पर लापरवाही बरतने के आरोप लगे थे। हफ़्ते भर पहले पुलिस ने इसी ओरेवा ग्रुप के प्रमोटर और अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
अजंता ब्रांड के तहत दीवार घड़ियाँ बनाने के लिए जानी जाने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप को मच्छू नदी पर 100 साल पुराने सस्पेंशन ब्रिज के नवीनीकरण, संचालन और रखरखाव के लिए ठेका दिया गया था।
पुल का नवीनीकरण करने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप ने पुल खोलने से पहले नागरिक अधिकारियों से फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं लिया। इसकी पुष्टि मोरबी नगरपालिका एजेंसी के प्रमुख संदीपसिंह झाला कई बार कर चुके हैं।
कंपनी रखरखाव और मरम्मत के लिए पुल को कम से कम आठ से 12 महीने तक बंद रखने के अपने अनुबंध से बाध्य थी। पुलिस ने एक प्राथमिकी में कहा कि पुल को खोलना गंभीर रूप से गैर जिम्मेदार और लापरवाह संकेत था।
बहरहाल, चार्जशीट में जयसुख पटेल को एक आरोपी के रूप में जोड़ा गया है, साथ ही ओरेवा समूह के दो प्रबंधकों सहित नौ आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। नौ आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं, जबकि पटेल फरार हैं और मजिस्ट्रेट अदालत ने 13 जनवरी को उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अशोक यादव ने कहा, 'उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए सभी क़दम उठाए जा रहे हैं। वह अभी लापता हैं।'
राज्य सरकार द्वारा गठित एक विशेष जाँच दल ने ओरेवा समूह द्वारा घटिया रखरखाव, पुल पर लोगों की संख्या को सीमित करने में विफलता और टिकटों की अप्रतिबंधित बिक्री जैसी कई खामियों का हवाला दिया था।
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