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गुजरातः कॉमन सिविल कोड क्या बीजेपी को वोट दिला पाएगा

गुजरात में अब समान नागरिक संहित (कॉमन सिविल कोड) का शोशा छेड़ दिया गया है। शनिवार को गुजरात सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता लाने की घोषणा की। गुजरात में चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले शायद बीजेपी के तरकश का यह आखिरी तीर है जो राज्य में हिन्दू-मुसलमान मतदाताओं के वोटों का ध्रुवीकरण कराने के लिए किया जा रहा है।

तमाम चुनावी सर्वे में गुजरात में बीजेपी की स्थिति को कमजोर बताया जा रहा है। आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है। हाल ही में आप प्रमुख केजरीवाल ने हिन्दुत्व का जबरदस्त कार्ड खेलते हुए भारतीय करंसी पर हिन्दू देवी-देवताओं की फोटो छापने की मांग कर डाली। बीजेपी से उन्होंने हां या ना में जवाब मांगा। बीजेपी बचाव की मुद्रा में आ गई। लेकिन अब बीजेपी ने भी हिन्दुत्व के कार्ड को खेलने का फैसला किया है। उसी के तहत समान नागरिक संहिता का मुद्दा छेड़ा गया है। यह ऐसा मुद्दा है, जिसके तहत तमाम मुसलमानों सहित तमाम अल्पसंख्यकों, आदिवासियों के हितों पर चोट पहुंचती है। लेकिन मुस्लिम देश का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है तो उधर से तीव्र प्रतिक्रिया होती है। लेकिन इधर मुसलमानों ने इस मुद्दे पर ध्यान देना बंद कर दिया है। फिर भी बीजेपी ने यह मुद्दा इस उम्मीद के साथ छेड़ा है कि गुजरात के मुस्लिम इस पर प्रतिक्रिया देंगे तो हिन्दू संगठन भी बोलेंगे।

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देखना यह है कि इस मुद्दे पर ओवैसी की प्रतिक्रिया क्या होती है। हालांकि ओवैसी इसके विरोध में कई बार बोल चुके हैं लेकिन गुजरात के संदर्भ में उनके और बाकी मुस्लिम नेताओं के बयानों पर नजर रखने की जरूरत है। 

बहरहाल, गुजरात सरकार के मंत्रियों ने शनिवार को जानकारी दी कि विधानसभा चुनाव से पहले गुजरात की बीजेपी सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी लागू करेगी। गुजरात सरकार चुनाव वाले राज्य में यूसीसी को अपनाने के लिए एक समिति गठित करने जा रही है। इसका अधिकार राज्य के सीएम भूपेंद्र पटेल को दिया गया है। 
बीजेपी शासित उत्तराखंड सरकार ने भी पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यूसीसी लाने की घोषणा की थी। इस बारे में पहले करते हुए उसने यूसीसी लागू करने के सभी पहलुओं का मूल्यांकन करने में मदद करने के लिए एक रिटायर्ड हाईकोर्ट जज के तहत एक संवैधानिक समिति गठित की थी। हालांकि उत्तराखंड में सरकार आ चुकी है लेकिन अभी तक यूसीसी लागू नहीं हो पाया है। 
केंद्र ने बहुत पहले सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर देश में एक समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग करते हुए कहा था कि विभिन्न धर्म अलग-अलग नियमों का पालन नहीं कर सकते हैं। कानून बनाने की शक्ति विधायिका के पास है। केंद्र के अनुसार, धर्मनिरपेक्ष कानून सभी धर्मों पर लागू होना चाहिए और यह सभी धर्मों में विरासत, विवाह और तलाक कानूनों पर लागू होगा।

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क़मर वहीद नक़वी
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