गुजरात के मोरबी में हादसे को लेकर वहां का ओरेवा ग्रुप विवादों में घिरता जा रहा है। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक अहमदाबाद में ओरेवा फॉर्म्स पर ताले लटके पाए गए हैं। यहां काम करने वाले कर्मचारियों का कुछ पता नहीं है। मोरबी में झूलतो पुल के गिरने से 135 मौतों के बाद ओरेवा ग्रुप के 9 कर्मचारियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। लेकिन ओरेवा के मुख्य ठेकेदार को पुलिस अभी छू भी नहीं सकी है। ओरेवा को लेकर राज्य सरकार भी विवादों में घिरती जा रही है।
द हिन्दू अखबार की जांच पड़ताल में सामने आया है कि मोरबी नगर पालिका ने घड़ी, मच्छरमार रैकेट, सीएफएल बनाने वाली ओरेवा कंपनी के ट्रस्ट को झूलतो पुल के रखरखाव का ठेका 15 वर्षों के लिए दे दिया। इसके लिए किसी भी तरह का टेंडर नहीं निकाला गया। पुल को 7-8 महीने मरम्मत के नाम पर बंद रखा गया और 24 अक्टूबर को इसे खोल दिया गया। ओरेवा परिवार के सदस्यों ने बाकायदा पुल खोले जाने के मौके पर आयोजित प्रोग्राम में हिस्सा लिया। रविवार को छठ होने पर ज्यादा कमाई के चक्कर में पुल पर 17 रुपये का टिकट लेकर भारी भीड़ पहुंच गई और इसी दौरान यह हादसा हुआ। जिसमें अभी तक 135 लोगों के मरने की बात सामने आई।
सीपीएम, कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं ने ओरेवा ग्रुप के मालिक को बीजेपी-आरएसएस का संरक्षण मिलने का आरोप लगाया। सीपीएम का कहना है कि एक अलग तरह का काम करने वाले ग्रुप को पुल के रखरखाव का ठेका मिलना ही गलत है। लेकिन उसे यह ठेका बीजेपी और आरएसएस से संबंधों के चलते मिला।
पुलिस पर ओरेवा ग्रुप के मालिक पर कार्रवाई का दबाव बढ़ रहा है। लेकिन कर्मचारियों की गिरफ्तारी होने पर ओरेवा फॉर्म के कर्मचारी ताला लगाकर गायब हैं। क्योंकि उन्होंने देखा कि कार्रवाई के नाम पर कंपनी के कर्मचारी पकड़े जा रहे हैं।
पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की लेकिन उस पर लीपापोती का आरोप लगा। कुछ न्यूज चैनलों ने तो मरने वालों को ही इस हादसे का जिम्मेदार ठहरा दिया। जिसकी सोशल मीडिया पर थू-थू हो रही है। कुछ लोगों ने उस चैनल के मालिक को टैग करते हुए उसे शर्मसार किया है।
हादसे के समय पीएम मोदी गुजरात में ही थे। उन्होंने एक-दो कार्यक्रम स्थगित किए लेकिन बाकी कार्यक्रमों में वो उसी तरह शामिल होते रहे। एक कार्यक्रम में तो मोदी एक आकर्षक हैट में नजर आए लेकिन हैट पहने ही वो फरमाते रहे कि उनका दिल मोरबी में लगा हुआ है। घटना को दो दिन गुजर चुके हैं, मोदी मंगलवार शाम को मोरबी पहुंचने वाले हैं। इस रिपोर्ट को लिखे जाने के समय पीएम मोदी राजस्थान के मानगढ़ में कार्यक्रम में व्यस्त थे। गुजरात में चुनाव होने वाले हैं तो पीएम मोदी की व्यस्तता को समझा जा सकता है। राजस्थान का मानगढ़ आदिवासी बहुल इलाका है और गुजरात की सीमा के पास है।
उधर, राज्य सरकार इसलिए विवादों में आ गई है, क्योंकि पीएम मोदी के मोरबी आने से पहले वहां के सिविल अस्पताल का रंग-रोगन कर उसकी शक्ल बदल दी गई है। माछु नदी से जिन्दा बचाए गए घायलों को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मोदी घायलों से मिलने जाएंगे, इसीलिए अस्पताल को संवारा गया है। वहां जाने वाली सड़क को भी चकाचक कर दिया गया है। कांग्रेस ने सीएम भूपेंद्र पटेल का इस्तीफा मांगते हुए पीएम मोदी के प्रोग्राम को इवेंट बनाने के लिए बीजेपी और मोदी की आलोचना की। पार्टी का कहना है कि एक तरफ इतनी मौतें और दूसरी तरफ इवेंटबाजी का तमाशा। आम लोगों ने भी सोशल मीडिया पर सिविल अस्पताल के फोटो शेयर करते हुए गुजरात सरकार की आलोचना की है।
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