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गुजरात हादसाः सुप्रीम कोर्ट में 14 को सुनवाई

गुजरात के मोरबी में हुए हादसे पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया है। सुप्रीम अदालत 14 नवंबर को इस मामले की सुनवाई करेगी। इस संबंध में मंगलवार को एक याचिका दायर कर न्यायिक आयोग से जांच की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए सुनवाई का निर्देश दिया।
एडवोकेट विशाल तिवारी की पीआईएल में मोरबी पुल ढहने की घटना की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की देखरेख में एक न्यायिक आयोग नियुक्त करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

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पीआईएल में पर्यावरण के नजरिए से और सुरक्षा तय करने के लिए पुराने और जोखिम भरे स्मारकों और पुलों के जोखिम का सर्वे कराने और मूल्यांकन करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई है।

पीआईएल में राज्य सरकारों को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि वे अपने-अपने राज्यों में निर्माण घटना जांच विभाग (कंस्ट्रक्शन इंस्टीडेंट इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट - सीसीआईडी) का गठन करें ताकि जब भी ऐसी घटनाएं हों तो त्वरित जांच की जा सके। 
याचिका में कहा गया है कि ऐसे विभाग की यह भी जिम्मेदारी हो कि वो किसी भी सार्वजनिक निर्माण की गुणवत्ता और सुरक्षा के बारे में आकलन और पूछताछ करे।

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बता दें कि गुजरात के मोरबी शहर में ब्रिटिश काल का एक सस्पेंशन ब्रिज रविवार को दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें 135 लोग मारे गए और काफी लोग घायल हो गए। रविवार शाम करीब साढ़े छह बजे जब यह पुल दुर्घटनाग्रस्त हुआ तो लोगों से खचाखच भरा हुआ था। पांच दिन पहले ही सदी पुराने पुल को फिर से खोला गया था।

पुल ढहने के मामले में धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 308 (जानबूझकर मौत का कारण बनना) और 114 (अपराध होने पर उपस्थित होना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

कुल 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें ओरेवा समूह के कर्मचारी हैं। आरोप है कि पुल का रखरखाव करने वाले निजी ठेकेदार ने इसे फिर से खोलने से पहले नगर पालिका अधिकारियों से फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं लिया था। जबकि नगर पालिका जवाबदेही से बच नहीं सकती। शहर में एक पुल को आठ महीने बाद खोला गया और उसे पता तक नहीं, यह कैसे संभव है।

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क़मर वहीद नक़वी
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