गुजरात सरकार ने अब साफ़ तौर पर कहा है कि बौद्ध धर्म अलग धर्म है इसलिए हिंदुओं को धर्मांतरण के लिए पूर्व अनुमति लेनी होगी। सरकार ने ही कहा है कि पहले कई जिलाधिकारियों ने इस तरह की पूर्व अनुमति की ज़रूरत नहीं बताई थी। राज्य में बड़ी संख्या में दलितों के बौद्ध धर्म अपनाने की जब तब ख़बरें आती रही थीं।
गुजरात ने अब क्यों कहा - बौद्ध अलग धर्म, हिंदुओं को धर्मांतरण के लिए अनुमति ज़रूरी?
- गुजरात
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- 11 Apr, 2024
संविधान के अनुच्छेद 25 (2) के तहत सिख धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म हिंदू धर्म के भीतर शामिल हैं और इसका हवाला देकर धर्मांतरण के लिए पूर्व अनुमति नहीं मांगी जाती थी। तो अब ऐसा क्या हो गया कि सरकार को सर्कुलर निकालना पड़ा?

गुजरात सरकार को इसके लिए सर्कुलर क्यों जारी करना पड़ा, इस सवाल का जवाब बाद में, पहले यह जान लें कि आख़िर गुजरात सरकार ने सर्कुलर में क्या कहा है। राज्य सरकार ने कहा है कि बौद्ध धर्म को एक अलग धर्म माना जाना चाहिए और हिंदू धर्म से बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म में किसी भी धर्मांतरण के लिए गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2003 के प्रावधानों के तहत संबंधित जिला मजिस्ट्रेट की पूर्व मंजूरी ज़रूरी होगी।