पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित मंदिर से जैन तीर्थांकरों की मूर्तियां हटाए जाने का भारी विरोध शुरू हो गया है। पुलिस ने "जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को आहत करने" के लिए अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने सोमवार को कहा कि मूर्तियों को मूल स्थान पर बहाल किया जाएगा।
जैन समुदाय के लोगों को रविवार को पता चला कि मंदिर में जीर्णोद्धार की वजह से जैन तीर्थांकरों की मूर्तियों को हटा दिया गया है। इस पर वडोदरा जिले में प्रदर्शन शुरू हो गए। जैन समुदाय ने जगह-जगह सरकार को ज्ञापन देकर कालिका माताजी मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर की मांग की। इन मूर्तियों को कम से कम एक हजार साल पुरानी माना जाती है। ये मूर्तियां पावागढ़ पहाड़ी के ऊपर स्थित महाकाली मंदिर की ओर जा रही सीढ़ियों पर लगी थीं। मंदिर ट्रस्ट ने 7 मूर्तियों को कथित तौर पर हटा दिया था।
सोमवार को जैसे ही जैन समुदाय का आंदोलन वडोदरा, सूरत और राज्य के अन्य हिस्सों में फैला, पंचमहल के एसपी हिमांशु सोलंकी और जिला विकास अधिकारी (डीडीओ) डीके बारिया ने मंदिर स्थल का दौरा किया। मामले को सुलझाने के लिए उन्होंने जैन समुदाय के लोगों और मंदिर ट्रस्ट से बात की। बैठक में तय पाया गया कि मूर्तियों को उसी स्थान पर फिर से रखा जाएगा।
BLACK DAY FOR JAINISM - 16th June 2024
— Arpit Shah (@arpitsinger) June 17, 2024
Ancient Jain idols which are hundreds of years old and which were worshipped at the old stairs of Pavagadh Hill were brutally demolished and disgracefully discarded by trustees of Shri Mahakali Mata Temple to make new pathway and stairs.… pic.twitter.com/C0WbuGbJZH
राज्य में जिला कलेक्टरों को सौंपे गए अलग-अलग ज्ञापनों के बाद मंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि सरकार ने पंचमहल जिला प्रशासन और जिला पुलिस को मामले को देखने और "मूर्तियों को बहाल करने" का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि “किसी भी व्यक्ति या ट्रस्ट को किसी मूर्ति या मंदिर को ध्वस्त करने का अधिकार नहीं है। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल को ग्राउंड रिपोर्ट मिलने के बाद इस मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं और मूर्तियों को उनके मूल स्थान पर फिर से स्थापित करने के निर्देश जारी किए गए हैं।”
पुलिस ने नवकार आराधना भवन ट्रस्ट की सदस्य किरण दुग्गड़ की शिकायत के बाद बाद अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर में कहा गया है कि दुग्गड़ को रविवार को पावागढ़ की यात्रा पर आए एक दोस्त ने फोन कर मूर्तियों को हटाने के बारे में सूचित किया। किरण ने कहा कि “मेरे दोस्त ने मुझे बताया कि रविवार को हमारे समुदाय के आध्यात्मिक तीर्थोंकरों की मूर्तियाँ महाकाली मंदिर की पुरानी सीढ़ी पर टूटी हुई हालत में पड़ी थीं। जब हमने उस स्थान का दौरा किया, तो हमें उस अवस्था में भगवान नेमिनाथ (जैन तीर्थंकरों में से एक) सहित कई मूर्तियाँ मिलीं। धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों पर मामला दर्ज किया जाना चाहिए।” यह मामला आईपीसी की धारा 295ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक मान्यताओं का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना है) के तहत दर्ज किया गया है।
समस्त वडोदरा जैन संघ के सदस्य नीरज जैन ने कहा कि पावागढ़ तलहटी पर मच्छी के पास स्थित जैन समुदाय से संबंधित मंदिर पावागढ़ जैन क्षत्रिय श्वेतांबर मूर्तिपूजक ट्रस्ट का है, लेकिन सीढ़ियों के साथ पंक्तिबद्ध जैन मूर्तियाँ महाकाली मंदिर ट्रस्ट की देखरेख में हैं। जैन ने बता कि “पूरी साइट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीन है। सक्षम अधिकारियों की अनुमति के बिना कोई भी ऐसी मूर्तियों को नहीं हटा सकता है जो कम से कम हजारों साल पुरानी मानी जाती हैं... हमने मामले में मंदिर ट्रस्ट के खिलाफ एफआईआर की मांग की है। वास्तव में, जैन समुदाय मूर्तियों की मरम्मत शुरू करने वाला था क्योंकि मूर्तियों पर कई शिलालेख वर्तमान में पढ़ने योग्य नहीं हैं और हमारे पास उनके बारे में अधिक विवरण नहीं हैं। सात मूर्तियों में से एक भगवान नेमिनाथ की है।”
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