गुजरात हाईकोर्ट ने राजकोट में गेमिंग जोन में भीषण आग लगने की घटना को मानव निर्मित आपदा क़रार देने के बाद अब राज्य सरकार को खरी-खरी सुनाई है। अदालत ने कह दिया है कि उसे राज्य सरकार पर अब भरोसा नहीं रहा।
राजकोट में एक वीडियो गेमिंग ज़ोन में आग लगने और नौ बच्चों सहित 28 लोगों की मौत की घटना को लेकर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह कहा। घटना के दो दिन बाद कम से कम दो ऐसी संरचनाओं को प्रमाणित करने में विफल रहने के लिए अदालत ने शहर के नगर निकाय को फटकार लगाई। जब हाईकोर्ट को बताया गया कि दो गेमिंग जोन अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र सहित ज़रूरी परमिट के बिना 24 महीने से अधिक समय से चल रहे हैं, तो अदालत ने कहा कि वह अब राज्य सरकार पर भरोसा नहीं कर सकती है। गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी बीजेपी की सरकार है। राज्य में दो दशकों से ज़्यादा समय से बीजेपी की ही सरकार है।
बहरहाल, अदालत ने ऐसा तब कहा जब राजकोट नगर निकाय ने अदालत में कहा, 'हमारी मंजूरी नहीं ली गई थी।' इस पर अदालत ने कहा, 'यह ढाई साल से चल रहा है। क्या हम मान लें कि आपने आंखें मूंद ली हैं? आप और आपके अनुयायी क्या करते हैं?' एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार गेमिंग जोन में अधिकारियों की तस्वीरें सामने आने के बाद कोर्ट ने पूछा, 'ये अधिकारी कौन थे? क्या वे वहां खेलने गए थे?'
कोर्ट ने राज्य सरकार को भी आड़े हाथों लिया। हाईकोर्ट ने कहा, 'क्या आप अंधे हो गए हैं? क्या आप सो गए? अब हमें स्थानीय प्रणाली और राज्य पर भरोसा नहीं है।' गुजरात हाईकोर्ट मामले का स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है।
जस्टिस बीरेन वैष्णव और जस्टिस देवन देसाई की विशेष पीठ ने राज्य मशीनरी में विश्वास की कमी व्यक्त करते हुए सवाल उठाया कि पिछले अदालती आदेशों के बावजूद ऐसी त्रासदी कैसे हो सकती है।
जब आरएमसी ने अदालत को बताया कि गेमिंग जोन ने अनुमति नहीं मांगी है तो पीठ ने कहा कि यह उनकी भी जिम्मेदारी है। कोर्ट ने कहा,
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हमारे आदेश के चार साल बाद भी अगर अग्नि सुरक्षा के मामले में कोई कदम नहीं उठाया गया, तो आरएमसी कैसे ज़िम्मेदार नहीं है?
गुजरात हाईकोर्ट, रोजकोट गेमिंग ज़ोन हादसे पर
गुजरात उच्च न्यायालय ने रविवार को टीआरपी गेम जोन में लगी आग का स्वत: संज्ञान लिया है। अदालत ने रविवार को राज्य सरकार और नगर निगमों से इस बारे में रिपोर्ट मांगी थी कि कानून के किस प्रावधान के तहत ऐसे गेमिंग जोन और मनोरंजक सुविधाओं को चलाने की अनुमति दी गई।
हाईकोर्ट ने गेमिंग ज़ोन में कथित खामियों, अवैध निर्माण और सुरक्षा के उपाय नहीं किए जाने की रिपोर्टों का हवाला देते हुए इस घटना को मानव निर्मित आपदा क़रार दिया था। अदालत ने कहा था कि यह पूरा मामला स्तब्ध करने वाला है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अधिकारियों ने कहा कि उस गेमिंग ज़ोन के पास अग्निशमन विभाग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी नहीं था। गेमिंग जोन में प्रवेश और निकास दोनों के लिए केवल एक ही मार्ग का उपयोग किया जाता था। इसके अतिरिक्त जोन के विभिन्न हिस्सों में हजारों लीटर पेट्रोल और डीजल का भंडारण किया गया था। इससे आग तेजी से फैल गई और पूरा ढांचा जलकर खाक हो गया।
ऐसी खामियों को लेकर हाईकोर्ट ने नाराज़गी जताई। अदालत ने रविवार को कहा था, 'जैसा कि अखबार में रिपोर्टें हैं, ये मनोरंजन क्षेत्र सक्षम अधिकारियों से ज़रूरी मंजूरी के बिना बनाए गए हैं।'
हाईकोर्ट ने कहा कि राजकोट शहर के अलावा, अहमदाबाद शहर में सिंधु भवन रोड और एसपी रिंग रोड पर ऐसे गेम जोन बन गए हैं जो सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा हैं।
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