त्रिपुरा में हिंसा की ख़बरें हैं। मुसलिम समुदाय को निशाना बनाकर सांप्रदायिक हमले किए गए। इसकी रिपोर्टिंग भी हुई। उस रिपोर्टिंग को लेकर अब त्रिपुरा की पुलिस ने सोशल मीडिया पोस्ट लिखने वाले कुछ यूज़रों और कुछ पत्रकारों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है कि वे हिंसा भड़काने का काम कर रहे हैं। त्रिपुरा पुलिस ने 'फर्जी जानकारी' ऑनलाइन साझा करने के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए के तहत 102 सोशल मीडिया अकाउंट पर कार्रवाई की है। एचडब्लू न्यूज़ नेटवर्क के लिए काम कर रही समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा पर भी एफ़आईआर दर्ज की गई है।
त्रिपुरा पुलिस का यह दावा कितना सच कि पानीसागर में मसजिद नहीं जलाई गई?
- असत्य
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- 16 Nov, 2021
त्रिपुरा पुलिस ने पानीसागर की एक मसजिद की कुछ तसवीरें साझा करते हुए दावा किया है कि मसजिद में आगजनी नहीं हुई, लेकिन क्या सच में किसी मसजिद में आगजनी नहीं हुई? जानिए पुलिस का दावा कितना सच है।

इसी को लेकर वहाँ की हिंसा ज़्यादा चर्चा में भी है। पुलिस का दावा है कि ऐसे लोगों ने ग़लत ख़बरें चलाईं और ग़लत दावे किए कि मुसलिम संपत्तियों, दुकानों और मसजिदों में तोड़फोड़ की गई और आगजनी की गई। तो पुलिस का यह दावा कितना सही है और क्या पत्रकारों ने जो रिपोर्टिंग की वह ग़लत है?