वो युद्ध ही क्या जिसमें प्रोपेगेंडा न हो! फ़ेक न्यूज़ प्रोपेगेंडा का सबसे बड़ा हथियार है। और इसका इस्तेमाल भी इज़राइल-हमास युद्ध में ख़ूब हो रहा है। कहा जाता है कि युद्ध प्रोपेगेंडा से भी जीते जा सकते हैं। प्रथम विश्वयुद्ध हो या द्वितीय या फिर इराक वार या अन्य कोई भी युद्ध, प्रोपेगेंडा हर युद्ध में सामने आता रहा है। कुछ ऐसा ही प्रोपेगेंडा हमास-इज़राइल युद्ध में लगातार इस्तेमाल हो रहा है!
इज़राइल हमास के बीच युद्ध में सबसे ज़्यादा प्रोपेगेंडा मौतों पर हो रहा है। गज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि वहां 9,700 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं जिनमें 4,800 बच्चे भी शामिल हैं। मौत के कई दावों को इज़राइल फ़ेक न्यूज़ बता चुका है। सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर यहाँ तक कह दिया गया कि कफन में लिपटी लाशें हिल रही थीं यानी दावा किया गया कि ज़िंदा लोगों को मरा हुआ बताने की कोशिश की जा रही है। इज़राइली सेना के ऐसे ही एक दावों पर ऑल्ट न्यूज़ ने फैक्ट चेक किया। इसको लेकर वरिष्ठ पत्रकार पंकज पचौरी ने ट्वीट किया है, 'भारतीय फैक्ट चेकर्स अब इज़राइली सेना की पोस्टों को सुधार रहे हैं। यही वैश्वीकरण है।'
Indian factcheckers are now correcting @IDF posts.
— Pankaj Pachauri (@PankajPachauri) November 7, 2023
Thats globalisation in action. https://t.co/9v24vm3BrE
दरअसल, सोशल मीडिया पर इज़राइल समर्थक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ने ‘पालीवुड’ कांसिपिरेसी थ्योरी को बढ़ावा दिया है– कि फ़िलिस्तीनी मौत का नाटक कर रहे हैं। ऑल्ट न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे ही एक हालिया दावे में इज़राइल के ऑफ़िशियल हैंडल ने सीएनएन रिपोर्ट की एक क्लिप ट्वीट करते हुए दावा किया कि कफ़न में लिपटे शव को ‘अपना सिर हिलाते हुए’ देखा गया। वीडियो में सिर पर लाल घेरा लगाया गया है। ट्वीट में लिखा था, 'रिमाइंडर: गज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय = हमास। शव अपना सिर नहीं हिला सकते।"
30 अक्टूबर तक, इस वीडियो को 40 लाख से ज़्यादा बार देखा गया और लगभग 8 हज़ार बार रीट्वीट किया गया। इसके बाद ये ट्वीट हटा दिया गया। यानी इसने तब तक फ़ेक न्यूज़ फैलाने का अपना काम पूरा कर चुका था।
पहले भी कई बार इस युद्ध से संबंधित फ़िलिस्तीन विरोधी ग़लत सूचनाएं शेयर करने वाले इज़राइली एक्टिविस्ट, यूसुफ हद्दाद ने भी इस वीडियो को ट्वीट किया और लिखा, 'पालीवुड में आपका स्वागत है।'
इसी तरह से ऑस्ट्रेलियाई इन्फ्लुएंसर से लेकर भारतीय दक्षिणपंथी इन्फ्लुएंसर तक ने इस फ़ेक न्यूज़ को शेयर किया। वायरल वीडियो में मुख्य रूप से कफ़न में ढके शवों के पास बैठी रोती हुई एक महिला दिखती है। इसके अलावा, ऐसे दो शव दिखाई दे रहे हैं। एक शव शायद वयस्क का है और दूसरा किसी बच्चे का। ये फ़ुटेज सबसे पहले CNN ने पब्लिश किया था जिसके बाद इज़रायली न्यूज़ आउटलेट N12 ने इस फुटेज को ज़ूम करके ये साबित करने की कोशिश की कि शव हिल रहा था। वायरल वीडियो में N12 लोगो के साथ CNN का लोगो भी है।
ऑल्ट न्यूज़ ने लिखा है कि संबंधित CNN की असली रिपोर्ट में ‘हिलते हुए सिर’ को हाइलाइट या सर्कल नहीं किया गया था। ऑल्ट न्यूज़ ने लिखा है, 'वीडियो में दिखता है कि बुर्का पहनी महिला शवों के पास शोक मनाते दिख रही है जिसके बाद नीली टी-शर्ट में एक आदमी उसके पास बैठता है। वो एक मृत शव का कफ़न खोलता है। उसी वक्त शव के शीर्ष पर बंधी गांठ हिलती है जिससे ऐसा लगता है कि शव हिल रहा है।'
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वायरल फ़ुटेज को फ़िलिस्तीनी पत्रकार हसन एस्लेयेह ने 28 अक्टूबर को शूट किया था। ऑल्ट न्यूज़ ने हसन एस्लेयेह से संपर्क किया जिन्होंने वायरल ‘फर्ज़ी शव’ के दावों को ग़लत बताया और ऑल्ट न्यूज़ के साथ असली अनएडिटेड वीडियो शेयर किया। इसके अलावा, हसन ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि वीडियो में दिख रही महिला अपने बेटे के खोने का शोक मना रही थी जिसका शव कफ़न में पड़ा था।
फैक्टचेक वेबसाइट ने दावा किया है कि 'जैसा कि इस वीडियो से साफ है, नीली टी-शर्ट वाला व्यक्ति लाश के चेहरे को दिखाने के लिए कफ़न का एक हिस्सा हिलाता है जिसके ऊपर लगी गांठ हिल जाती है। इस विश्लेषण से ये साफ़ है कि सिर अपने-आप नहीं हिलता।'
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी इज़राइल हमास युद्ध के दावों को लेकर निशाने पर रहे हैं। 27 अक्टूबर को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि 'फ़िलिस्तीनी जिस संख्या (मरने वालों की) का इस्तेमाल कर रहे हैं उस पर उन्हें कोई भरोसा नहीं है'। अगले दिन ग़ज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय ने 212 पन्नों के एक डॉक्यूमेंटेशन के साथ जवाब दिया जिसमें 6,747 लोगों के नाम, उम्र, जेंडर और ऑफ़िशियल आइडेंटिफिकेशन नंबर थे। और इनके बारे में दावा किया गया कि ये 7 अक्टूबर से शुरू हुए युद्ध में ग़ज़ा में मरने वालों के आंकड़े हैं।
इससे पहले बच्चों के कथित कटे हुए सिर के दावे पर जो बाइडेन की किरकिरी हुई थी। तब जो बाइडेन ने कह दिया कि इज़राइल पर हमास का हमला सरासर दुष्ट कार्रवाई है और उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह 'बच्चों के सिर काटते आतंकवादियों की तस्वीरें' देखेंगे। अब यदि अमेरिका का राष्ट्रपति ऐसा बयान देता है तो मानकर यह चलना चाहिए कि उन्होंने इसकी पुष्टि की होगी। बिना पुष्टि के ऐसे बयान का मतलब कुछ और ही निकलेगा। लेकिन बाइडेन के इस बयान के बाद ह्वाइट हाउस को इस पर सफ़ाई देनी पड़ी। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बीबीसी को साफ़ किया कि बाइडेन ने वास्तव में ऐसी तस्वीरें नहीं देखीं, बल्कि वह इज़राइल की रिपोर्टों का ज़िक्र कर रहे थे।
अपनी राय बतायें