दिल्ली में हुई हिंदू महापंचायत को लेकर पुलिस के द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में कहा गया है कि दो समुदायों के बीच नफरत पैदा करने के लिए एक धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी की गई। यह आरोप डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती और सुदर्शन न्यूज़ चैनल के संपादक सुरेश चव्हाण के खिलाफ एफआईआर में लगाए गए हैं।
एफआईआर में हिंदू महापंचायत के आयोजक और खुद को सेव इंडिया फाउंडेशन का संस्थापक बताने वाले प्रीत सिंह का भी नाम है।
एफआईआर में कहा गया है कि प्रीत सिंह ने ऐसे भड़काऊ वक्ताओं को मंच मुहैया कराया इसलिए उसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
इस संबंध में दिल्ली के मुखर्जी नगर पुलिस स्टेशन में हेड कांस्टेबल लक्ष्मी चंद की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है।
हेड कांस्टेबल लक्ष्मी चंद हिंदू महापंचायत के आयोजन के दौरान वहीं मौजूद थे। यह कार्यक्रम बुराड़ी इलाके के एक मैदान में हुआ था।
हैरानी की बात यह है कि प्रीत सिंह को कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति देने से पुलिस ने इनकार कर दिया था लेकिन बावजूद इसके उसने यह कार्यक्रम कराया और इसमें 700 से 800 लोग मौजूद रहे।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि यति नरसिंहानंद भड़काऊ बयानबाजी के मामले में जमानत पर बाहर है लेकिन बावजूद इसके वह लगातार जहरीली बयानबाजी कर रहा है और उसे गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है। नरसिंहानंद को जमानत इसी आधार पर मिली है कि वह भड़काऊ बयानबाजी नहीं करेगा लेकिन उसे न तो कानून का कोई खौफ है और ना ही कानून उसके खिलाफ सख़्त दिखना चाहता है।
वरना हिंदू महापंचायत के दौरान ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए था और अदालत में पेश कर तुरंत सलाखों के पीछे भेज दिया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
बीते साल हरिद्वार में हुई धर्म संसद में नरसिंहानंद और कुछ अन्य कथित साधु-संतों ने समुदाय विशेष के खिलाफ जहर उगला था और ऐसा यह लोग आए दिन करते रहते हैं। लेकिन शायद उन्हें इस बात का भरोसा है कि उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता इसीलिए वह खुलेआम आजाद घूम रहे हैं और जिसे मन में आए निशाना बना रहे हैं।
उम्मीद की जानी चाहिए कि पुलिस, प्रशासन, अदालत और सरकार भी नफरत की खेती करने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करेंगे जिससे यह संदेश जाए कि देश में कानून का राज कायम है और नरसिंहानंद जैसे लोग कानून से ऊपर नहीं हैं।
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