45 साल बाद दिल्ली फिर पानी-पानी हुई। इस बार यमुना आल टाइम हाई लेवल पर पहुंची और दिल्ली के उन इलाकों को डुबो दिया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। 1978 की बाढ़ में उत्तरी दिल्ली के हिस्से मुखर्जी नगर, मॉडल टाउन तथा आसपास की कॉलोनियाँ डूबी थीं, इस बार रिंग रोड, आईटीओ और सुप्रीम कोर्ट तक पानी पहुंच गया। यमुना के आसपास रहने वाले 30 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए। अब ब्लेमगेम भी चल रहा है। दिल्ली को साजिशन बाढ़ से डुबोने तक के आरोप लग रहे हैं। प्रधानमंत्री जर्मनी गए तो वहां से भी दिल्ली का हाल जानने के लिए फोन आए जबकि केजरीवाल बेंगलुरू तक गए तो बीजेपी नेताओं ने उन्हें गैर जिम्मेदार बता दिया। पानी उतरा तो चिंता की गहराई भी कम होने लगी है। दिल्ली में अगले साल फिर बाढ़ आएगी और दिल्ली डूबेगी।
तो क्या ऐसे दिल्ली डूबने से बच सकती है?
- दिल्ली
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- 20 Jul, 2023

क्या दिल्ली में यमुना का हाल कभी सुधरेगा? इस बार यमुना का जलस्तर रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच गया? जानिए, आख़िर वजह क्या है और क्या इसको सुधारने का प्रयास किया गया।
पिछली बार दिल्ली 1978 में डूबी थी। यमुना फिर न डूबे, इसके लिए एक रिपोर्ट तैयार की गई थी लेकिन जब बाढ़ का पानी उतरता है तो फिर सारी बातें भुला दी जाती हैं, उसी तरह वह रिपोर्ट भी अब कहीं फाइलों की धूल चाट रही होगी। बाढ़ के बाद उस समय डी.डी.ए. के टाउन प्लानर आर.जी. गुप्ता ने यमुना पर यह बहुआयामी रिपोर्ट तैयार की थी। उस रिपोर्ट की चर्चा 1993 की मदनलाल खुराना सरकार तक तो थी लेकिन उसके बाद इसे पूरी तरह भुला दिया गया।