मंगलवार की रात दिल्ली पुलिस ने कृषि भवन में धरने पर बैठ गये ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत करीब कई नेताओं को बल प्रयोग कर हटा दिया। अभिषेक बनर्जी को पुलिस ने घसीटते हुए वहां से हटाया है। ये सभी केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति से पश्चिम बंगाल के लिए फंड जारी करने की मांग को लेकर मिलने पहुंचे थे।
इस घटना का जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है उसमें दिख रहा है कि महिला पुलिसकर्मी सांसद महुआ मोइत्रा को गोदी में उठाकर कृषि भवन परिसर से ले जा रही हैं। पुलिस द्वारा जबरन हटाए जाने पर टीएमसी नेताओं ने जमकर हंगामा किया है। इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दें को जोरशोर से उठाया है। टीएमसी नेताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल को फंड नहीं दे रही है।
धरने पर बैठे टीएमसी नेता मनरेगा मजदूरों और भवन निर्माण योजनाओं के लिए फंड देने की मांग कर रहे थे। धरना दे रही सांसद महुआ मोइत्रा को जब पुलिस लेकर जा रही थी तब उन्होंने बस से चिल्लाकर कहा कि मंत्री से मिलने पहुंचे टीएमसी प्रतिनिधिमंडल के साथ दुर्व्यवहार किया गया और उन्हें खींच कर जबरन मंत्रालय से बाहर निकाल दिया गया।
पुलिस द्वारा उन्हें जबरन हटाए जाने के बाद महुआ मोइत्रा ने एक्स पर ट्विट करते हुए लिखा है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के निर्वाचित सांसदों को भारत सरकार के एक मंत्री से मिलने का समय दिए जाने के बाद (जिसे उन्होंने हमें 3 घंटे इंतजार कराने के बाद भी देने से इनकार कर दिया) इस तरह का व्यवहार किया जाता है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति एक्स पर ट्विट कर लिखा कि, आज 02:30 घंटे का समय व्यर्थ गया। आज तृणमूल के सांसदों की प्रतीक्षा करते करते 08:30 बजे कार्यालय से निकली हूं। मेरी जानकारी के अनुसार तृणमूल के सांसद और बंगाल के मंत्रियों के प्रतिनिधिमण्डल ने कार्यालय में 06:00 बजे मिलने का समय लिया था।
साध्वी निरंजन ज्योति के इस ट्विट के जवाब में सांसद महुआ मोइत्रा ने लिखा कि आप झूठ बोल रही हैं । आपने हमारे प्रतिनिधिमंडल को मिलने का समय दिया। आपने सभी नामों की जांच की, हमें प्रवेश करने की अनुमति देने से पहले हर एक की जांच की, हमें 3 घंटे तक इंतज़ार कराया और फिर पिछले दरवाजे से भाग गई।
ताजा ख़बरें
ग्रामीण विकास राज्य मंत्री के साथ तय थी इनकी मुलाकात
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ये सभी टीएमसी नेता केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति से मिलने के लिए पहुंचे थे। मंत्री ने टीएमसी प्रतिनिधिमंडल के पांच से अधिक सदस्यों से मिलने से इंकार कर दिया। जिसके बाद सभी 30 लोग टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में नई दिल्ली के कृषि भवन में धरने पर बैठ गए थे। इन्हें पुलिस की मदद से हटाया गया।इन्हें हटाये जाने से पहले, टीएमसी सांसद शांतनु सेन ने कृषि भवन के बाहर मीडिया को बताया कि प्रतिनिधिमंडल और केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के बीच शाम 6 बजे एक बैठक निर्धारित की गई थी। अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस या टीएमसी का प्रतिनिधिमंडल, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में, राज्य मंत्री साधवी निरंजन ज्योति से मिलने के लिए निर्धारित समय यानी शाम 6 बजे कृषि भवन पहुंचा।
फिर हमारे नेताओं को 90 मिनट तक इंतजार कराया गया। उसके बाद राज्य मंत्री ने बताया कि वह हमारे प्रतिनिधिमंडल से नहीं मिल सकतीं। हमारे राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी अन्य नेताओं के साथ कृषि भवन से तब तक नहीं निकलेंगे जब तक मंत्री उनसे नहीं मिलती।
राज्य मंत्री साधवी निरंजन ज्योति के कार्यालय टीएमसी प्रतिनिधिमंडल के पहुंचने से पहले, बंगाल के बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने शाम 4 बजे राज्य मंत्री ज्योति से आधे घंटे तक मुलाकात की है। उन्होंने राज्य में मनरेगा योजना में कथित अनियमितताओं के संबंध में मंत्री को एक पत्र भी सौंपा है। इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अभिषेक बनर्जी ने कहा है कि मंत्री के पास बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी से मिलने का समय था, लेकिन टीएमसी नेताओं और मनरेगा कार्डधारकों से मिलने का समय नहीं था।
दिल्ली से और खबरें
प्रतिनिधिमंडल से पांच सदस्यों को उनसे मिलने के लिए कहा
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों ने बताया है कि प्रतिनिधिमंडल के मंत्रालय पहुंचने के बाद मंत्री के व्यस्त होने के कारण एक घंटे तक इंतजार करने को कहा गया। इसके बाद, मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल से पांच सदस्यों को उनसे मिलने के लिए कहा। बनर्जी ने इससे इनकार करते हुए कहा कि आठ मनरेगा कार्डधारक साथ आए थे और मंत्री को उनसे मिलना चाहिए।अपनी इस मांग को लेकर टीएमसी नेता वहीं धरने पर बैठ गए। इसके बाद रात करीब 8.30 बजे पुलिस आती है। पहले उन्हें वहां से जाने के लिए कहा गया। समझाने से जब वे नहीं गए तब पुलिस ने बल प्रयोग कर उन्हें वहां से बसों में भरकर हटा दिया। इस प्रतिनिधिमंडल में टीएमसी के कम से कम 15 सांसद और अन्य वरिष्ठ नेता भी शामिल थे।
अपनी राय बतायें