हफ़्ते भर पहले की ही बात है जब दिल्ली-हरियाणा के गांवों से निकलने वाले युवा रेसलर्स सेलेब्रिटी पहलवान सुशील कुमार के जैसा बनने का सपना देखा करते थे। लेकिन बीती 4 मई को हुए एक वाकये के बाद से ही पहलवान सुशील कुमार कहीं छुपे हुए हैं। पहलवानी के अखाड़ों के कोच कहते हैं कि इस वाकये के बाद सुशील कुमार के साथ ही कुश्ती जैसे गांवों के खेल की भी छवि ख़राब हुई है क्योंकि ओलंपिक में दो पदक जीतने वाले सुशील कुमार इस खेल के ब्रांड एबेंसडर की तरह थे।