सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सभी वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम मतों से मिलान करने और बैलेट पेपर से चुनाव करवाने की सभी याचिकाएं खारिज कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब साफ हो गया है कि देश में चुनाव इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन से ही होंगे। बैलेट पेपर से मतदान नहीं होगा। अब यह भी स्पष्ट हो गया है कि ईवीएम से वीवीपैट पर्ची की 100 प्रतिशत क्रॉस-चेकिंग भी नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट में हुई इस सुनवाई के बाद जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने कहा कि हमने प्रोटोकॉल और तकनीकी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की है। इसके बाद हमने एक मत से यह फैसला दिया है।
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने इससे पूर्व सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस केस में याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े ने दलीलें दी थी।
प्रशांत भूषण एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की तरफ से पैरवी कर रहे थें। दूसरी तरफ चुनाव आयोग की तरफ से अधिवक्ता मनिंदर सिंह, केंद्र सरकार की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद ने दलीलें रखी थी।
लॉ से जुड़ी खबरों की वेबसाइट बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने पूछा था कि क्या वह महज हैकिंग और हेरफेर के संदेह के आधार पर ईवीएम के संबंध में निर्देश जारी कर सकता है?
रिपोर्ट कहती है कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें चुनाव के दौरान सभी वीवीपीएटी पर्चियों का इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के जरिए डाले गए वोटों से मिलान करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने ईवीएम के बजाय कागजी मतपत्र पर वापस जाने की मांग को भी खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा, "हमने पेपर बैलेट वोटिंग, पूर्ण ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन और वीवीपैट पर्चियों को भौतिक रूप से जमा करने की प्रार्थना को खारिज कर दिया है।"
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए विश्वास और सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
"यद्यपि संतुलित दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है, लेकिन किसी प्रणाली पर आंख मूंदकर संदेह करना संदेह पैदा कर सकता है और इसलिए सार्थक आलोचना की आवश्यकता है। चाहे वह न्यायपालिका हो, विधायिका आदि हो।
कोर्ट ने कहा कि, विश्वास और सहयोग की संस्कृति का पोषण करके, हम अपने लोकतंत्र की आवाज को मजबूत कर सकते हैं।
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चुनाव आयोग को दिए कई निर्देश
बार एंड बेंच की रिपोर्ट कहती है कि भले ही सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है लेकिन कोर्ट ने ईवीएम को फुलप्रूफ बनाने के लिए भारत के चुनाव आयोग और अन्य अधिकारियों को कई अहम निर्देश भी दिए हैं।यह फैसला उन तीन याचिकाओं पर आया है, जिनमें चुनाव के दौरान वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से डाले गए वोटों से मिलान करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ताओं में से एक ने प्रार्थना की कि प्रत्येक ईवीएम वोट का मिलान वीवीपैट पर्चियों से किया जाए।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर एक अन्य याचिका में आग्रह किया गया कि वीवीपैट पर्चियों का मिलान ईवीएम के माध्यम से डाले गए वोटों से किया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया था कि ऐसा इसलिए होना चाहिए कि मतदाता पुष्टि कर सकें कि उनका वोट 'रिकॉर्ड के रूप में गिना गया है' और 'डाले गए वोट के रूप में दर्ज किया गया है।'
सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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